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गंभीर संकट में अर्थव्यवस्था, मोदी सरकार बना रही जनता को मूर्ख, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) का बड़ा बयान

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश की जीडीपी वृद्धि दर (GDP Growth Rate) चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में गिरकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है.

Updated on: 02 Dec 2019, 11:57 AM

दिल्ली:

पूर्व वित्त मंत्री (Former Minister of Finance) यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने आर्थिक मोर्चे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) "बहुत गंभीर संकट" में है और मांग लुप्त होती दिख रही है. उन्होंने कहा कि सरकार बार बार ऐसी " उत्साह की बातें" करके "लोगों को मूर्ख" बना रही है कि अगली तिमाही या फिर उसके बाद ही तिमाही में आर्थिक हालात बेहतर हो जाएंगे.

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आर्थिक संकट को जादू की छड़ी से नहीं दूर कर सकते: यशवंत सिन्हा
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश की जीडीपी वृद्धि दर (GDP Growth Rate) चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में गिरकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई है. यह आर्थिक वृद्धि दर का छह साल से ज्यादा का निचला स्तर है. सिन्हा ने कहा , " तथ्य यह है कि हम गंभीर संकट में हैं. अगली तिमाही या फिर उसके बाद की तिमाही बेहतर होगी यह सब सिर्फ खोखली बातें हैं, जो पूरी होने वाली नहीं है. बारबार यह कहकर सरकार लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है कि अगली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर बेहतर हो जाएगी. पूर्व भाजपा नेता ने कहा कि इस तरह के संकट को समाप्त होने में तीन से चार साल या फिर पांच साल भी लग सकते हैं. इस संकट को किसी जादू की छड़ी से दूर नहीं किया जा सकता है.

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सिन्हा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय जिस दौर में है उसे "मांग का खात्मा " कहते हैं और यह स्थिति कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र से शुरू हुई थी. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में कोई मांग ही नहीं है और यह संकट का प्रारंभिक बिंदु है. सबसे पहले कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में मांग खत्म हुई. इसके बाद यह असंगठित क्षेत्र तक पहुंची और आखिरकार इसकी आंच कॉरपोरेट क्षेत्र तक पहुंच गई. सिन्हा ने यह भी याद किया कि कैसे उन्होंने 2017 में भांप लिया था कि अर्थव्यवस्था पतन की ओर जा रही है, लेकिन मेरी चेतावनी को यह कहकर ठुकरा दिया गया है कि एक 80 वर्ष का " शख्स नौकरी की तलाश " कर रहा है.

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उन्होंने कहा कि 25 महीने पहले मैंने एक समाचार पत्र में लेख लिखा था और सरकार को अर्थव्यवस्था में गिरावट की चेतावनी दी थी. मेरा मकसद उन लोगों को इस खतरे के बारे में बताना था जो अर्थव्यवस्था संभाल रहे थे, ताकि समय रहते सुधारात्मक कदम उठाए जा सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि दस या 20 साल पहले मैं सोच भी नहीं सकता था कि लोकसभा में कोई ऐसा होगा जो नाथू राम गोडसे को देशभक्त कहेगा, ये उस समय के संकेत हैं, जिसमें हम रह रहे हैं.