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Birthday Special : जानें Dhirubhai Ambani का पकौड़ेवाले से अमीरी का सफर

Dhirubhai Ambani :पैसे वाले ही अमीर होंगे यह मिथक वैसे टूटा तो कई बार होगा, लेकिन पहली बार धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने यह साबित किया कि पैसा कड़ी मेहनत और पूरी लगन के साथ काम करके भी कमाया जा सकता है.

Updated on: 28 Dec 2018, 04:58 PM

नई दिल्‍ली:

Dhirubhai Ambani : पैसे वाले ही अमीर होंगे यह मिथक वैसे टूटा तो कई बार होगा, लेकिन पहली बार धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने यह साबित किया कि पैसा कड़ी मेहनत और पूरी लगन के साथ काम करके भी कमाया जा सकता है. यही कारण उनके समय से लेकर आज तक देश में अमीरी का ताज हमेशा से ही रिलायंस के ही माथे पर सजता रहा है. धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) का जन्म 28 दिसंबर 1933 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में हुआ था. शुरुआती दौर में परिवार में इतनी गरीबी थी कि उनको हाईस्कूल के बाद अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. शुरुआत में उनको परिवार चलाने के लिए छोटामोटा काम भी करना पड़ा, जिसमें गलियों में पकौड़े बेचना जैसे काम भी शामिल थे.

धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) की ये बातें बदल सकती है आपका जीवन
-अगर आप अपना सपना पूरा नहीं करेंगे तो कोई और आपको नौकरी पर रख कर अपना सपना पूरा कर लेगा.
-अगर आप गरीब पैदा हुए है तो ये आपकी गलती नहीं है पर अगर आप गरीब मरते हैं तो ये आपकी गलती है.
-बड़ा सोचे, जल्दी सोचे, सबसे आगे सोचे. विचार पर किसी का एकाधिकार नहीं है.
-मुनाफा कमाने के लिए कोई आपको आमंत्रण नहीं देगा.
-अगर आपको कुछ कमाना है तो जोखिम लेना ही होगा.

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कष्‍टों से भरा था शुरुआती जीवन
बचपन में गरीबी के चलते धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) को फल और नाश्ता बेचने तक का काम करना पड़ा. बाद में उन्होंने गांव के पास एक धार्मिक स्थल पर पकौड़े बेचने का काम शुरू किया, लेकिन यह काम पूरी तरह पर्यटकों पर निर्भर था. यह साल के कुछ समय तो अच्छा चलता था मगर बाकी समय फायदा नहीं होता था. इन कामों के बाद धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने नौकरी शुरू की.

यमन में पहली नौकरी
धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) को पहली नौकरी यमन में मिली. वहां उन्होंने 300 रुपये प्रति माह के वेतन पर पेट्रोल पंप पर काम किया. अपने काम की दम पर वह वहां पर दो साल में ही मैनेजर हो गए. लेकिन फिर भी उनका मन नौकरी में नहीं लग रहा था और वह अपना कारोबार जमाने के सपने लगातार देखते रहे.

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ऐसा था कारोबारी बनने का जुनून
धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) में कारोबारी बनने का जुनून ऐसा था कि वह अपने गरीबी के दौर में भी इस सपने को पूरा करने में लगतार लगे रहते थे. धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) एक कंपनी में काम कर रहे थे, जहां पर कर्मियों को 25 पैसे में चाय मिलती थी, लेकिन धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) निकट के होटल में जाया करते थे जहां चाय 1 रुपये की थी. उनका कहना था कि वह इस लिए वहां जाते हैं कि वहां पर आने वाले लोग बड़े-बड़े कारोबारी हैं, जिनकी बातें सुनकर काफी कुछ सीखने को मिलता है.

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बाद में भारत में आकर कारोबार जमाया

यमन में आजादी के आन्दोलन के चलते उन्‍हें भारत लौटना पड़ा. 1950 के दशक में धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) यमन से भारत लौट आये. बाद में उन्‍होंने चम्पकलाल दमानी के साथ मिलकर पॉलिएस्टर धागे और मसालों के आयात-निर्यात का कारोबार शुरू किया. इस कंपनी का नाम रिलायंस कमर्शियल कार्पोरेशन था. यहीं से रिलायंस का जन्म हुआ था. हालांकि बाद में यह कारोबार नहीं चला और यह साझेदारी खत्‍म हो गई, लेकिन रिलायंस फिर भी चलती रही. इसके बाद धीरुभाई ने सूत के व्यापार में हाथ डाला. धीरे धीरे धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) को कपड़ा कारोबारी की अच्छी समझ हो गयी. बाद में उन्होंने 1966 में अहमदाबाद के नैरोड़ा में एक कपड़ा मिल शुरू की. धीरुभाई ने यहां से बने कपड़ों को विमल ब्रांड के नाम से बेचना शुरू किया.

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ऐसे आया रिलायंस का आईपीओ
धीरुभाई अंबानी ने 1977 में रिलायंस ने आईपीओ (IPO) जारी किया. उस वक्‍त 58,000 से ज्यादा निवेशकों ने उसमें निवेश किया. यहीं से धीरुभाई अंबानी और रिलायंस को सफलता का मंत्र मिल गया और उनका और उनके निवेशकों का पैसा बढ़ता ही चला गया. आज यह देश का सबसे बडे कारोबारी समूह में है, और दुनिया के कई देशों में इस कंपन का करोबार चल रहा है.

दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन
दिल का दौरा पड़ने के बाद धीरुभाई अंबानी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 24 जून, 2002 को भर्ती कराया गया. जहां 6 जुलाई 2002 को धीरुभाई अम्बानी ने अंतिम सांसें लीं.

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पुरस्कार और सम्मान-
- वर्ष 1998 में पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय द्वारा ‘डीन मैडल’ प्रदान किया गया.
- 1999 में बिजनेस इंडिया-बिजनेस मैन ऑफ द ईयर.
- भारत में केमिकल उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘केमटेक फाउंडेशन एंड कैमिकल इंजीनियरिंग वर्ल्ड’ द्वारा ‘मैन ऑफ़ द सेंचुरी’ सम्मान, 2000.
- फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा ‘मैन ऑफ 20th सेंचुरी’ घोषित.