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बजट 2019 को अंतिम रूप देने में जुटे अधिकारी, आयकर में मिल सकती है रियायत

चुनावी साल में आमतौर पर नई सरकार बनने तक चार महीने के लिए प्रशासनिक कार्यों और विकासपरक परियोजनाओं पर खर्च के लिए अंतरिम बजट संसद में पेश किया जाता है.

Updated on: 26 Jan 2019, 04:05 PM

नई दिल्ली:

वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी आम बजट 2019-20 को अंतिम रूप प्रदान करने की कवायद में जुट गए हैं. इनमें कई पुराने अनुभवी अधिकारियों से लेकर यूआईएडीआई के सीईओ से हाल ही में वित्त मंत्रालय पहुंचे एक अधिकारी भी शामिल हैं. आम बजट 2019-20 एक फरवरी को पेश किया जा सकता है, जोकि चुनावी साल में महज एक लेखानुदान होगा.

अंतरिम बजट या लेखानुदान पीयूष गोयल पेश करेंगे, जिन्हें वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. उनको यह प्रभार अरुण जेटली के इलाज कराने के लिए अमेरिका चले जाने के कारण प्रदान किया गया है.

चुनावी साल में आमतौर पर नई सरकार बनने तक चार महीने के लिए प्रशासनिक कार्यों और विकासपरक परियोजनाओं पर खर्च के लिए अंतरिम बजट संसद में पेश किया जाता है.

लेकिन कई लोगों का मानना है कि इस साल बीजेपी सरकार सभी परंपराओं को तोड़ते हुए यह एक असरदार बजट पेश कर सकती है, जिसमें आयकर में रियायत की सीमा में वृद्धि और किसानों के लिए राहत पैकेज शामिल हो सकते हैं, ताकि लोकसभा चुनाव से पहले कई वर्गों को खुश किया जा सके.

बजट को अंतिम रूप देने में जुटे नॉर्थ ब्लॉक के दफ्तरशाहों में वित्त सचिव अजय नारायण झा भी शामिल हैं. बजट तैयार करने में उनकी प्रमुख भूमिका को लेकर झा को 28 फरवरी तक के लिए एक महीने का सेवा विस्तार दिया गया है. उनकी भूमिका में विभिन्न मंत्रालयों की उम्मीदों और सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों के बीच बेहतर संतुलन बनाना शामिल है.

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1985 बैच के मणिपुर काडर के अधिकारी झा ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की है. उनको आर्थिक नीति प्रबंधन में मास्टर करने के लिए विश्व बैंक द्वारा छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी.

अधिकारियों की टीम में आर्थिक मामले विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग राजस्थान काडर के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उनको बजट तैयार करने का पुराना अनुभव है. गर्ग वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए विकास को बढ़ावा देने वाले उपायों को तवज्जो दे सकते हैं. वह अगला वित्त सचिव बनने की दौड़ में शामिल हैं.

वहीं, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय महाराष्ट्र कॉडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. वह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के सीईओ भी हैं.

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर चुके पांडेय मिनेसोना यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी हैं. उनका काम करों से राजस्व बढ़ाना है.

वित्तीय सेवा विभाग के सचिव राजीव कुमार 1984 बैच के झारखंड काडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह वित्तीय संस्थानों, बैंक, बीमा कंपनी और राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का कार्य संभालते हैं. वह बैंकों की पूंजी की जरूरतों को ध्यान में रख सकते हैं. निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव अतनू चक्रवर्ती गुजरात काडर के 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.

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मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यम हाल ही में अरविंद सुब्रह्मण्यम की जगह आए हैं. शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से पीएचडी (वित्तीय अर्थशास्त्र) कृष्णमूर्ति भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोलकाता और आईआईटी कानपुर से पढ़े हैं और वह इससे पहले इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में एसोसिएट प्रोफेसर थे. आर्थिक सर्वेक्षण में उनकी अहम भूमिका हो सकती है.

प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने 90 के दशक के मध्य से वित्तीय बाजार में काम किया है और वह जी-20 के फ्रेमवर्क वर्किंग ग्रुप के सह-अध्यक्ष रहे हैं. संयुक्त सचिव, बजट, अरविंद श्रीवास्तव 1984 बैच के कर्नाटक काडर के आईएएस अधिकारी हैं. मौजूदा पद पर उनकी नियुक्ति अप्रैल 2018 में हुई थी.

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अतिरिक्त सचिव (व्यय) प्रमोद कुमार दास 1986 बैच के मध्यप्रदेश काडर के आईएएस अधिकारी हैं, उनकी मुख्य भूमिका विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के व्यय प्रस्तावों में संतुलन बनाना है.

टीम में शामिल संयुक्त सचिव (राजस्व) रित्विक रंजन पांडेय 1998 बैच के कर्नाटक काडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह मार्च 2018 से मौजूदा पद पर आसीन हैं. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र के दामाद हैं. वित्त मंत्रालय में निदेशक (बजट) रहते हुए उनको बजट तैयार करने का पुराना अनुभव है.