'दलहन की कमी को पूरा करने के लिए मटर, उड़द इंपोर्ट पर रोक हटाने की जरूरत'
आईपीजीए (Indian Pulses and Grains Association-IPGA) ने गुरुवार को सरकार से मटर और उड़द के आयात पर प्रतिबंध हटाने की मांग की.
दिल्ली:
Pulses Import: देश में दलहन की कुछ किस्मों की कमी की संभावना के मद्देनजर दलहन एवं अनाज कारोबारियों के संघ आईपीजीए (Indian Pulses and Grains Association-IPGA) ने गुरुवार को सरकार से मटर और उड़द के आयात पर प्रतिबंध हटाने की मांग की. मौजूदा समय में मटर पर आयात शुल्क 50 फीसदी है. इसके अलावा सरकार ने पिछले महीने न केवल मटर का 200 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) तय किया है, बल्कि आयात की खेप को सीमित करने और घरेलू किसानों की सुरक्षा के लिए मार्च 2020 तक केवल 1.50 लाख टन तक ही आयात की अनुमति दी है.
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चालू वित्त वर्ष के लिए चार लाख टन इंपोर्ट कोटा तय
उड़द के मामले में सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए चार लाख टन का आयात कोटा तय किया है. भारतीय दलहन एवं अनाज संघ (आईपीजीए) के अध्यक्ष जीतू बेडा ने कहा कि मटर पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद आयात करना संभव नहीं है. आयात के तमाम खर्चो को जोड़कर इसकी कीमत 300 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक बैठेगी. महाराष्ट्र में 12-14 फरवरी को आयोजित होने वाले एक सम्मेलन के बारे में घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि मटर में मुख्य रूप से चार किस्में शामिल हैं - पीली मटर, हरी मटर, दुन मटर और कस्पा मटर। देश आयात पर निर्भर है क्योंकि घरेलू उत्पादन, मांग के मुकाबले कहीं कम है. उन्होंने कहा कि भारत में सालाना लगभग 30 लाख टन मटर का आयात होता है, जिसमें से पीली मटर की लगभग पांच लाख टन और हरी मटर की लगभग 2.50 लाख टन मात्रा का आयात होता है.
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आईपीजीए के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने विस्तारपूर्वक कहा कि मार्च 2020 तक 1.50 लाख टन मटर के आयात का कोटा पूरा नहीं किया जा सकता है क्योंकि आयात करने वाले देशों, विशेषकर म्यांमार में फसल कटाई मार्च के बाद होगी. उन्होंने कहा कि वास्तव में, सरकार को सूखी हरी मटर के खुले आयात की अनुमति देनी चाहिए क्योंकि आने वाले महीनों में देश में इसकी कमी हो सकती है। ताजा हरी मटर केवल दिसंबर-फरवरी के बीच कम कीमत पर उपलब्ध है, जबकि साल की शेष अवधि में, आयात के माध्यम से इसकी मांग पूरी होती है। उन्होंने कहा, ‘‘किसानों की सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन उपभोक्ताओं को खाने के लिए विकल्प दिया जाना चाहिए.
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उड़द आयात के संबंध में, कोठारी ने कहा कि देश में औसतन 25-30 लाख टन उड़द का उत्पादन होता है, लेकिन बरसात के कारण फसल बर्बाद होने से इस साल इस दलहन की लगभग 50 प्रतिशत की कमी हो सकती है. उन्होंने कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए, सरकार को उड़द पर मात्रात्मक प्रतिबंध हटा देना चाहिए और मुक्त आयात की अनुमति देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उद्योग संगठन ने इस संबंध में सरकार को ज्ञापन दिया है.
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आईपीजीए के अनुसार, भारत ने इस वित्त वर्ष के अप्रैल-नवंबर के दौरान 21.4 लाख टन दालों का आयात किया है और 2019-20 के अंत में कुल आयात की खेप 30 लाख टन होने की उम्मीद है. इससे पहले 2018-19 में कुल 23.7 लाख टन दलहनों का आयात किया गया था. सरकारी प्रोत्साहन उपायों से देश में दलहन उत्पादन वर्ष 2016-17 के 160-180 लाख टन से बढ़कर अब 230 लाख टन पर पहुंच गया है. हालांकि, यह अभी भी 250 लाख टन की वार्षिक मांग से कम है.
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