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पिछले साल के बचे चीनी कोटा के निर्यात के लिए सरकार ने दिसंबर तक का समय दिया

केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) में से आंशिक रूप से निर्यात करने में सफल रहने वाली चीनी मिलों को इस बात की अनुमति देने का निर्णय लिया है कि वे 31 दिसंबर, 2019 तक अपने एमआईईक्यू की शेष बची चीनी का भी निर्यात कर लें.

Updated on: 11 Nov 2019, 03:58 PM

दिल्ली:

सरकार ने सोमवार को चीनी मिलों के पिछले साल के बचे चीनी कोटा के निर्यात की समयसीमा को तीन माह बढ़ाकर उन्हें दिसंबर तक का समय दे दिया है. न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) योजना के तहत 50 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले, बाजार की सुस्त स्थिति के चलते विपणन वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान चीनी मिलें लगभग 38 लाख टन चीनी का ही निर्यात कर पाईं थी.

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सरकार ने चीनी मिलों को एक्सपोर्ट की अनुमति दी

खाद्य मंत्रालय द्वारा जारी एक ताजा अधिसूचना के अनुसार अब, केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) में से आंशिक रूप से निर्यात करने में सफल रहने वाली चीनी मिलों को इस बात की अनुमति देने का निर्णय लिया है कि वे 31 दिसंबर, 2019 तक अपने एमआईईक्यू की शेष बची चीनी का भी निर्यात कर लें. यह चालू 2019- 20 विपणन वर्ष के लिए आवंटित कोटा के ऊपर और अधिक होगा.

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खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले वर्ष ज्यादातर चीनी पश्चिम एशिया, ईरान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को निर्यात की गई थी. चालू वर्ष विपणन वर्ष के लिए, सरकार ने एमआईईक्यू के तहत 60 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा तय किया है. चीनी मिलों को उम्मीद है कि यह कोटा पूरा हो जाएगा क्योंकि वैश्विक बाजार में 40 लाख टन की कमी है. चीनी विपणन वर्ष 2019-20 की शुरुआत में देश में 30 से 50 लाख टन की आवश्यकता के मुकाबले 1.45 करोड़ टन का अब तक का सबसे ज्यादा स्टॉक बचा हुआ था.

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सरकार ने महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने के रकबे में भारी कमी की वजह से वर्ष 2018-19 के दौरान 3.31 करोड़ टन के उत्पादन के मुकाबले चालू वर्ष में चीनी उत्पादन घटकर 2.8 से 2.9 करोड़ टन होने का अनुमान जताया है, जबकि चीनी उद्योग के प्रमुख संगठन इस्मा ने वर्ष 2019-20 के दौरान देश का चीनी उत्पादन तीन साल के निचले स्तर 2.6 करोड़ टन पर रहने का अनुमान जताया है. देश में 534 चीनी मिलें हैं। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों ने गन्ना पेराई का काम शुरू कर दिया है, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में इसमें देरी हो रही है.