सिर्फ 5 Points में समझें कमोडिटी वायदा बाजार (Commodity Future Market) में ट्रेडिंग का तरीका
कमोडिटी फ्यूचर मार्केट (Commodity Future Market) में ट्रेडिंग के लिए सबसे पहले ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ेगा. ट्रेडिंग अकाउंट के जरिये खरीद-बिक्री कर सकते हैं.
नई दिल्ली:
कमोडिटी वायदा मार्केट (Commodity Future Market) में ट्रेडिंग (Trading) के लिए बाजार की सही जानकारी का होना बेहद जरूरी है. हालांकि ज्यादातर लोगों को अभी भी इसकी पूरी जानकारी का अभाव है. ऐसे में उनके मन में कमोडिटी बाजार में ट्रेडिंग को भय बना हुआ है. हमारी ये रिपोर्ट ऐसे ही लोगों के लिए है जो कमोडिटी फ्यूचर मार्केट में ट्रेडिंग करना चाहते हैं. आइये जानते हैं कि कमोडिटी वायदा बाजार में ट्रेडिंग के 5 आसान टिप्स क्या हैं.
- कैसे करें कमोडिटी में ट्रेड?- निवेशकों को सबसे पहले ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ेगा. निवेशक इस ट्रेडिंग अकाउंट के जरिये खरीद-बिक्री कर सकते हैं. ट्रेडिंग अकाउंट किसी ब्रोकिंग फर्म के साथ खुलवा जा सकता है. हालांकि ब्रोकर्स MCX और NCDEX का सदस्य जरूर होना चाहिए. एक्सचेंज की वेबसाइट से ब्रोकर्स के बारे जानकारी जुटाई जा सकती है. ट्रेडिंग अकाउंट के लिए पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक अकाउंट होना जरूरी है.
- देश में MCX और NCDEX दो बड़े कमोडिटी एक्सचेंज- MCX पर नॉन-एग्री कमोडिटी वायदा में ट्रेडिंग ज्यादा होती है. NCDEX पर एग्री कमोडिटी वायदा में ट्रेडिंग ज्यादा होती है. BSE और NSE पर भी कुछ कमोडिटी में ट्रेडिंग होती है. नॉन-एग्री कमोडिटी में सोना-चांदी, क्रूड और मेटल शामिल हैं. एग्री कमोडिटी में ग्वार, चना, तिलहन, मसाला, शुगर में ट्रेडिंग होती है.
- कमोडिटी वायदा में मार्जिन- कुछ रकम देकर पूरे सौदे को उठाना मार्जिन कहा जाता है. वहीं दूसरी ओर हाजिर बाजार में सौदे का पूरा भुगतान करना पड़ता है. हर कमोडिटी की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज पर पहले से मार्जिन तय है. आमतौर पर मार्जिन मनी 3 फीसदी से 5 फीसदी के बीच है. उतार-चढ़ाव की स्थिति में एक्सचेंज अतिरिक्त मार्जिन लगाता है.
- शुरुआत में मिनी लॉट में करें ट्रेडिंग- कमोडिटी ट्रेडिंग में शेयर की तरह लंबी अवधि नहीं होती है. कमोडिटी मार्केट में 2-3 सीरीज में ही कारोबार होता है. निवेशकों को खरीद-बिक्री एक निश्चित अवधि में करना जरूरी है. शुरुआत में मिनी लॉट में ट्रेड करना समझदारी भरा कदम माना जाता है. बाजार की समझ बढ़ने के बाद बड़े लॉट में ट्रेड करना चाहिए. हर सौदे में स्टॉप-लॉस जरूर लगाना चाहिए. निवेशकों को कई लॉट में ट्रेडिंग के लालच में नहीं फंसना चाहिए. लिक्विड कमोडिटी में ट्रेड करना फायदेमंद रहता है.
- बाजार से जुड़ी खबरों का भाव पर पड़ता है असर- कमोडिटी मार्केट पर सेंट्रल बैंकों के फैसले का असर साफतौर पर देखा जा सकता है. एग्री कमोडिटी पर फसल और उत्पादन अनुमान का असर दिखाई पड़ता है. बुलियन (Gold-Silver), कच्चा तेल (Crude), मेटल्स (Base Metals) की ट्रेडिंग में जोखिम कम रहता है. कमोडिटी मार्केट में डिविडेंड और बोनस नहीं मिलता है. ट्रेडर्स को सौदा कटने के बाद ही फायदा या नुकसान होता है.
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