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किसानों के लिए खुशखबरी, 1 हेक्टेयर में 1,400 क्विंटल टमाटर की पैदावार

कानपुर के चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में गहन शोध के बाद वैज्ञानिकों ने टमाटर की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार 1,400 क्विंटल तक हो सकती है.

Updated on: 28 Nov 2019, 09:44 AM

कानपुर:

टमाटर (Tomato) की खेती किसानों के लिए आने वाले दिनों में लाभदायक साबित होने वाली है, क्योंकि अब वे महज एक हेक्टेयर जमीन में 1400 क्विंटल तक टमाटर उपजा सकते हैं. कानपुर के चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में गहन शोध के बाद वैज्ञानिकों ने टमाटर की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिसकी प्रति हेक्टेयर पैदावार 1,400 क्विंटल तक हो सकती है. टमाटर की इस प्रजाति को नामधारी-4266 का नाम दिया गया है, जो अब किसानों के लिए उपलब्ध है.

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नई वेरायटी से किसानों को होगा फायदा
समान्य प्रजाति के टमाटरों का उत्पादन जहां 400 से 600 क्विंटल प्रति हेक्टयर है. वहीं इस नई वेरायटी से अब किसानों को 1200 से 1400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर टमाटर की पैदावार मिलेगी. बागवानी क्षेत्र में इस रिसर्च को किसानों के लिए एक नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है. चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त निदेशक प्रोफेसर डी. पी. सिंह ने आईएएनएस को बताया कि सामान्यत: टमाटर की खेती में निराई, बुवाई, सिंचाई, गुड़ाई और खाद आदि के खर्च में करीब 50 हजार रुपये प्रति हेक्टर का खर्च आता है.

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उन्होंने कहा कि लगभग इसी औसत में हम पलीहाउस में नामधारी-4266 प्रजाति के टमाटर की खेती कर सकते हैं. इस टमाटर की खासियत यह है कि इसमें रोग व कीट नहीं लगते और टमाटर 45 दिनों में तैयार हो जाता है. प्रो. सिंह ने बताया कि सितंबर व अक्टूबर माह में इसकी नर्सरी लगाई जाती है और दिसंबर से फरवरी के बीच फसल तैयार हो जाती है. मिट्टी में नारियल के बुरादे, परलाइट व वर्मीकुलाइट के मिश्रण को डाला जाता है, जिससे मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व पौधे को मिलता है. इसकी सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती. टपक विधि से आसानी से सिंचाई की जाती है.

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उत्पादन सामान्य से दोगुना
उन्होंने कहा, " हम पलीहाउस में ऐसा टमाटर पैदा कर रहे हैं, जिसका उत्पादन सामान्य से दो दोगुना है. एक हेक्टेयर में अभी 1400 क्विंटल से ज्यादा का उत्पादन हुआ है. हमारे विश्वविद्यालय से किसान इसे प्राप्त कर सकते हैं. यह लतावर्गीय टमाटर किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी सहायक होगा. उन्होंने बताया कि इसका सफलतापूर्वक परीक्षण हो गया है और आस-पास के जिलों से किसानों को पॉलीहाउस में टमाटर की फसल को देखने को बुलाया गया है. बाहर के किसान भी इसकी नर्सरी ले जा सकते हैं. यह प्रजाति बेल टाइप की है.

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पालीहाऊस में यह खेती इसलिए करते हैं, क्योंकि इसमें तापमान इसी लता के हिसाब से होता है. एक गुच्छे में चार से पांच और पौधे में 50 से 60 टमाटरों का उत्पादन होता है. प्रति टमाटर वजन भी 100 से 150 ग्राम है, जबकि सामान्य टमाटर का वजन 50 से 80 ग्राम ही होता है. यह किसानों के लिए बहुत लाभकारी है. प्रो. सिंह ने बताया कि अगले माह से दूसरे विश्वविद्यालयों व कालेज के छात्रों को इस प्रजाति की खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा उद्यमिता में रुचि रखने वाले युवा भी इसका प्रशिक्षण प्राप्त करके इसे उद्योग के रूप में अपना सकेंगे. उन्होंने कहा कि हम अपने यहां से प्रशिक्षित छात्रों को इसे दूसरी जगह इस विधि को सिखाने के लिए भेंजेगे जिससे आगे चलकर वह किसी पर आश्रित न रहे.