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Modi Budget 2.0: मोदी सरकार ने तोड़ी एक और परंपरा. ब्रीफकेस के बजाय 'बही-खाता'

अब बतौर प्रधानमंत्री दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में मोदी सरकार 2.0 ने एक और परंपरा को तिलांजलि दे दी है. यह परंपरा थी ब्रीफकेस में बजट पेश करने की.

Updated on: 05 Jul 2019, 09:56 AM

highlights

  • ब्रितानी हुकूमत की याद दिलाती एक और रीति मोदी सरकार ने त्याग दी.
  • ब्रीफकेस के बजाय निर्मला सीतारमण लाल कपड़े में लिपटे बजट के साथ सामने आईं
  • वित्त मंत्री अपनी भाषण में इसे "देश का बहीखाता" के नाम से बोलेगी.

नई दिल्ली.:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही बजट को लेकर कई परंपराएं तोड़ती आ रही है. अब बतौर प्रधानमंत्री दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में मोदी सरकार 2.0 ने एक और परंपरा को तिलांजलि दे दी है. यह परंपरा थी ब्रीफकेस में बजट पेश करने की. शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त मंत्रालय के बाहर बजाय ब्रीफकेस के लाल कपड़े में लिपटे बजट के साथ हाजिर हुईं. इस तरह ब्रितानी हुकूमत की याद दिलाती एक और रीति मोदी सरकार ने त्याग दी. वित्त मंत्री अपनी भाषण में इसे "देश का बहीखाता" के नाम से बोलेगी.

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पहले भी तोड़ीं बजट से जुड़ी परंपरा
यूनियन बजट का नाम भी इस बार बदल गया है. सरकार का मानना है कि यह पाश्चात्य संस्कृति से बाहर आकर देश की पुरानी परंपराओं से जुड़ने का शुरुआत है. बैग का लाल रंग भारतीय परंपराओं के हिसाब से शगुन का प्रतीक है. लंबे अर्से से वित्त मंत्री ब्रीफकेस में ही बजट पेश करते आ रहे थे. सदन के बाहर ब्रीफकेस दिखाते हुए फोटो सेशन बजट प्रस्तुत करने के दिन की एक अलिखित परंपरा सी हो गई थी. लेकिन बतौर वित्त मंत्री अपना पहला बजट पेश करने जा रही निर्मला सीतारमण ने 'बही-खाते' के अंदाज में लाल कपड़े में बजट कॉपी लेकर सामने आईं. इसके पहले मोदी सरकार ने ही रेल बजट और आम बजट को एक साथ प्रस्तुत करने की परंपरा डाली. साथ ही शाम के बजाय सुबह बजट पेश करने की परंपरा का आगाज हुआ.

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बजट पेश करने वाली दूसरी महिला निर्मला सीतारमण
वित्‍त मंत्री के रूप में पहली बार निर्मला सीतारमण पूर्णकालिक बजट पेश करने जा रही हैं. ऐसा करने वाली वो देश की दूसरी महिला होंगी. इससे पहले प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इंदिरा गांधी भी बजट पेश कर चुकी है. उन्होंने 49 साल पहले 1970 में 28 फरवरी को बजट पेश किया था और बजट पेश करने वाली देश की पहली महिला बनीं थी. इसके बाद किसी महिला को दोबारा बजट पेश करने का मौका काफी सालों बाद मिल रहा है.