Budget 2020: बजट से टेक्सटाइल इंडस्ट्री को उम्मीदें, मंदी से निपटने के लिए सरकार से मदद की गुहार
Budget 2020: दक्षिण भारत मिल एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी का कहना है कि पिछले 4 साल से टेक्सटाइल इंडस्ट्री ठप है और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की वजह से स्थिति और खराब हो गई है.
नई दिल्ली:
Budget 2020: कोयम्बटूर के टेक्सटाइल उद्योग (Textile Industry) ने आगामी केंद्रीय बजट (Union Budget 2020-21) से काफी उम्मीदें लगाई हैं. दक्षिण भारत मिल एसोसिएशन (Southern India Mills Association) के जनरल सेक्रेटरी का कहना है कि पिछले 4 साल से टेक्सटाइल इंडस्ट्री ठप है और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की वजह से स्थिति और खराब हो गई है.
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टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए भी कदम उठाए सरकार
उनका कहना है कि पिछले बजट के बाद अधिक से अधिक निवेश लाने के लिए आयकर को कम करने के सरकार के फैसले के पक्ष में ज्ञापन दिया था. उनका कहना है कि एसोसिएशन ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह साझेदारी कंपनियों के लिए भी लाभ बढ़ाए, ताकि उन्हें मंदी की चपेट से बाहर निकाला जा सके.
General Secretary, Southern India Mills' Assn: We submitted in our post budget memorandum that we welcome the earlier budget announcement of reducing income tax to infuse more capital & bring in more investments. We've requested govt to extend benefits for partnership firms too. https://t.co/isAx125Yjg pic.twitter.com/Fd1DVhpz6d
— ANI (@ANI) January 28, 2020
फर्टिलाइजर इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के इंपोर्ट पर ड्यूटी में कटौती की घोषणा संभव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फर्टिलाइजर इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के इंपोर्ट पर ड्यूटी में कटौती (Import Duty) का प्रस्ताव बजट (Union Budget 2020-21) में आ सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डाई अमोनियम फास्फेट (DAP) में उपयोग होने वाला रॉक फास्फेट और सल्फर आदि कच्चे माल के इंपोर्ट पर ड्यूटी में कटौती की घोषणा हो सकती है. जानकारों का कहना है कि अगर सरकार बजट में ड्यूटी में कटौती की घोषणा करती है तो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलने के साथ ही इंपोर्ट बिल (Import Bill) में भी कमी देखने को मिलेगी.
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बता दें कि इस तरह के कच्चे माल के ऊपर फिलहाल 5 फीसदी की इंपोर्ट ड्यूटी लगती है. मौजूदा समय में भारत अपनी DAP की जरूरत का 95 फीसदी हिस्सा विदेशों से मंगाता है. इसके अलावा देश में खपत होने वाली कुल यूरिया का करीब 30 फीसदी हिस्सा विदेश से इंपोर्ट होता है.
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