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Budget 2020: पिछली बार निर्मला सीतारमण ने बही-खाता पेश किया था तो इस बार क्या होगा नया नाम

पीएम नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) अपने पहले कार्यकाल से ही बजट को लेकर कई परंपराएं तोड़ती आ रही हैं.

Updated on: 31 Jan 2020, 06:17 PM

नई दिल्‍ली:

पीएम नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) अपने पहले कार्यकाल से ही बजट को लेकर कई परंपराएं तोड़ती आ रही हैं. अब बतौर प्रधानमंत्री दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में मोदी सरकार 2.0 ने एक और परंपरा को तिलांजलि दी थी. यह परंपरा थी ब्रीफकेस में बजट पेश करने की. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त मंत्रालय के बाहर बजाय ब्रीफकेस के लाल कपड़े में लिपटे बजट के साथ हाजिर हुई थीं. इस तरह ब्रितानी हुकूमत की याद दिलाती एक और रीति मोदी सरकार ने त्याग दी. वित्त मंत्री ने अपनी भाषण में इसे 'देश का बहीखाता' का नाम दिया था. अब देखना है कि इस बार यानी 2020 के बजट को नाम को क्या नाम दिया जाएगा.

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यूनियन बजट का नाम भी इस बार बदल गया है. सरकार का मानना है कि यह पाश्चात्य संस्कृति से बाहर आकर देश की पुरानी परंपराओं से जुड़ने का शुरुआत है. बैग का लाल रंग भारतीय परंपराओं के हिसाब से शगुन का प्रतीक है. लंबे अर्से से वित्त मंत्री ब्रीफकेस में ही बजट पेश करते आ रहे थे. सदन के बाहर ब्रीफकेस दिखाते हुए फोटो सेशन बजट प्रस्तुत करने के दिन की एक अलिखित परंपरा सी हो गई थी. लेकिन बतौर वित्त मंत्री अपना पहला बजट पेश करने जा रही निर्मला सीतारमण 'बही-खाते' के अंदाज में लाल कपड़े में बजट कॉपी लेकर सामने आई थीं. इसके पहले मोदी सरकार ने ही रेल बजट और आम बजट को एक साथ प्रस्तुत करने की परंपरा डाली थी. साथ ही शाम के बजाय सुबह बजट पेश करने की परंपरा का आगाज हुआ था.

वित्‍त मंत्री के रूप में दूसरी बार निर्मला सीतारमण बजट पेश करने जा रही हैं. ऐसा करने वाली वो देश की दूसरी महिला होंगी. इससे पहले प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इंदिरा गांधी भी बजट पेश कर चुकी हैं. उन्होंने 49 साल पहले 1970 में 28 फरवरी को बजट पेश किया था और बजट पेश करने वाली देश की पहली महिला बनी थीं. इसके बाद किसी महिला को दोबारा बजट पेश करने का मौका काफी सालों बाद मिल रहा है.

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पिछली बार लोकसभा में बजट पेश करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने कहा था कि 10 साल की दृष्‍टि के साथ बजट को पेश किया गया है. उन्‍होंने कहा था कि स्टार्टअप को कर लाभ का एक पूरा सेट दिया जा रहा है. अर्थव्यवस्था के समग्र विकास पर स्‍पष्‍ट फोकस था. हमने ग्रामीण पहलुओं को देखा, जो सभी ग्रामीण क्षेत्रों को निश्चित गति प्रदान करेंगे. इसी तरह हमने शहरी जीवन और बेहतर करने के उपायों के बारे में सोचा.

उन्‍होंने कहा था कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) हमारी बैंकिंग प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक हैं. सरकार ने एनबीएफसी वित्तपोषण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया था. उन्होंने कहा कि यह 'ग्रीन बजट' था, जो विशेष रूप से पर्यावरण ध्‍यान में रखते हुए बनाया गया था. ब्रीफकेस के बदले लाल पोटली पर निर्मला सीतारमण ने कहा था कि समय आ गया है कि ब्रिटिश परम्परा से बाहर निकला जाए और अपना कुछ किया जाए. उन्‍होंने कहा कि उसको carry करना भी आसान है.