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रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा फैसले से बैंकों के करोड़ों ग्राहकों को होगा बड़ा फायदा

रिजर्व बैंक (RBI) ने सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले पर्सनल या खुदरा ऋण और एमएसएमई को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को 1 अक्टूबर 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया है.

Updated on: 05 Sep 2019, 12:56 PM

नई दिल्ली:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों को होम लोन (Home Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) और एमएसएमई सेक्टर (MSME Sector) को सभी नए फ्लोटिंग रेट वाले लोन को रेपो दर सहित बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया है. इससे नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं तक जल्दी मिलने की उम्मीद है. रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के मुताबिक ऐसा देखने को मिला है कि मौजूदा कोष की सीमांत लागत आधारित ऋण दर (MCLR) व्यवस्था में नीतिगत दरों में बदलाव को बैंकों की ऋण दरों तक पहुंचाना कई कारणों से संतोषजनक नहीं है.

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1 अक्टूबर 2019 से लागू होंगे नए नियम
इसी को देखते हुए रिजर्व बैंक (RBI) ने सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले पर्सनल या खुदरा ऋण और एमएसएमई को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को 1 अक्टूबर 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया है. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बाहरी मानक आधारित ब्याज दर को तीन महीने में कम से कम एक बार नए सिरे से तय किया जाना जरूरी होगा. करीब एक दर्जन बैंक पहले ही अपनी ऋण दर को रिजर्व बैंक की रेपो दर से जोड़ चुके हैं.

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रिजर्व बैंक इस बात को लेकर काफी नाराज है कि बैंक रेपो रेट में काफी कटौती किए जाने के बाद भी ब्याज दर कम नहीं कर रहे हैं. रिजर्व बैंक 2019 में चार बार रेपो रेट में कुल मिलाकर 1.10 फीसदी की कटौती कर चुका है. इस वित्त वर्ष में अप्रैल के बाद से अब तक केंद्रीय बैंक 0.85 फीसदी तक की कटौती कर चुका है. रिजर्व बैंक का कहना है कि उसकी रेपो दर में 0.85 फीसदी कटौती के बाद बैंक अगस्त तक केवल 0.30 फीसदी तक ही कटौती कर पाए हैं. वहीं दूसरी ओर बैंकों का कहना है कि उसकी देनदारियों की लागत कम होने में समय लगता है जिसकी वजह से रिजर्व बैंक की कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों को देने में समय लगता है.