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SBI, HDFC Bank के बाद अब इन तीन बैंकों ने भी सस्ता किया कर्ज

ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC), बैंक ऑफ महाराष्ट्र और आईडीबीआई बैंक ने विभिन्न अवधि के कर्ज पर ब्याज दर (MCLR) में 0.05 फीसदी से 0.15 फीसदी तक की कटौती कर दी है.

Updated on: 10 Aug 2019, 08:46 AM

नई दिल्ली:

ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) और आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) ने विभिन्न अवधि के कर्ज पर ब्याज दर (MCLR) में 0.05 फीसदी से 0.15 फीसदी तक की कटौती कर दी है.

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OBC के 1 साल का MCLR घटकर 8.55 फीसदी
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) ने विभिन्न अवधियों के कर्ज पर MCLR में 0.10 फीसदी तक की कटौती करने का फैसला किया है. OBC के 1 साल के कर्ज की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (MCLR) 0.10 फीसदी घटकर अब 8.55 फीसदी पर आ गई है. 1 साल का एमसीएलआर मानक दर है. इसी के तहत वाहन, व्यक्तिगत और आवास ऋण के लिए ब्याज दर निर्धारित की जाती है. इसके अलावा, एक दिन से लेकर छह महीने तक की विभिन्न अवधि के लिए एमसीएलआर में 0.05 फीसदी से 0.10 फीसदी की कमी की गई है. नई दरें 10 अगस्त से प्रभावी होंगी.

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IDBI Bank का MCLR अब 8.85 फीसदी
आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) ने एक साल की अवधि के ऋण पर एमसीएलआर को 0.10 फीसदी कम करके 8.85 फीसदी कर दिया है. तीन महीने से तीन साल के लिए ब्याज दरों में 0.05 से 0.15 फीसदी की कटौती की गई है. एक दिन और एक महीने की अवधि के ऋण पर दरें अपरिवर्तित रखी गई हैं. नई दरें 12 अगस्त से लागू होंगी.

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बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) ने 3 महीने की अवधि के कर्ज पर MCLR घटाकर 8.30 फीसदी कर दिया है, जबकि एक साल के कर्ज पर MCLR 8.50 फीसदी हो गया है. बता दें कि HDFC Bank विभिन्न कर्ज अवधियों पर MCLR में 0.10 फीसदी की कटौती कर दी है. वहीं भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने भी बेंचमार्क कर्ज दरों में 15 बीपीएस (आधार अंकों) की कटौती की है.

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1 अप्रैल 2016 से लागू हुआ MCLR
1 अप्रैल 2016 से MCLR लागू हुआ. MCLR को कर्ज के लिए न्यूनतम दर माना जाता है. बैंक अब MCLR के आधार पर ही लोन देते हैं.

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MCLR क्या है - What is MCLR
MCLR को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट भी कहते हैं. इसके तहत बैंक अपने फंड की लागत के हिसाब से लोन की दरें तय करते हैं. ये बेंचमार्क दर होती है. इसके बढ़ने से आपके बैंक से लिए गए सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं. साथ ही MCLR घटने पर लोन की EMI सस्ती हो जाती है.