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जानें अयोध्या भूमि विवाद को लेकर गठित मध्यस्थता के लिए बने पैनल के बारे में

मध्‍यस्‍थता के लिए श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पंचू और जस्‍टिस एफएम खलीफुल्‍ला का नाम तय किया गया है.

Updated on: 10 May 2019, 06:47 AM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्‍या में राम जन्‍मभूमि-बाबरी मस्‍जिद भूमि विवाद केस को मध्‍यस्‍थता के लिए भेज दिया है. मध्‍यस्‍थता की नियुक्‍ति सुप्रीम कोर्ट के माध्‍यम से होगी और उसकी निगरानी भी सुप्रीम कोर्ट ही करेगा. मध्‍यस्‍थता के लिए 3 लोगों का पैनल बनाया गया है और 8 हफ्ते में मध्‍यस्‍थता पूरी करनी होगी. मध्‍यस्‍थता के लिए श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पंचू और जस्‍टिस एफएम खलीफुल्‍ला का नाम तय किया गया है. जस्‍टिस खलीफुल्‍ला मध्‍यस्‍थता पैनल की अध्‍यक्षता करेंगे. एक हफ्ते में मध्‍यस्‍थता की प्रक्रिया फैजाबाद से शुरू करनी होगी.

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ये हैं इब्राहिम खलीफुल्‍ला
जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्‍ला का जन्म कराईकुड़ी, तमिलनाडु में सन् 23 जुलाई 1951 को हुआ था. 2011 में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने हाईकोर्ट के जस्टिस फकीर मोहम्मद इब्राहिम खलीफुल्ला को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का कार्यवाहक चीफ जस्टिस नियुक्त किया है. इससे पहले जस्टिस इब्राहिम मद्रास हाईकोर्ट में स्थायी जज थे. 24 फरवरी 2011 को उन्होंने जेएंडके हाईकोर्ट के जज के तौर पर शपथ ग्रहण की थी. सन् 2012 में चीफ जस्टिस एफएम इब्राहिम खलीफुल्ला को पदोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बना दिया गया. जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्ला अयोध्या भूमि विवाद के लिए बनाए गए पैनल की अध्यक्षता करेंगे.

ये हैं श्रीश्री रविशंकर
श्रीश्री रविशंकर का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य में 13 मई 1956 को हुआ था. उनके पिता का नाम व वेंकट रत्नम् था जो भाषाकोविद् थे और उनकी माता श्रीमती विशालाक्षी एक सुशील महिला थीं. आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेते हुए उनके पिता ने उनका नाम रखा ‘रविशंकर’ था. रविशंकर शुरू से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे. मात्र चार साल की उम्र में वे श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे. बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था. उनके शिष्य बताते हैं कि फीजिक्स में अग्रिम डिग्री उन्होंने 17 वर्ष की आयु में ही ले ली थी.

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रविशंकर पहले महर्षि महेश योगी के शिष्य थे. उनके पिता ने उन्हें महेश योगी को सौंप दिया था. अपनी विद्वता के कारण रविशंकर महेश योगी के प्रिय शिष्य बन गए. उन्होंने अपने नाम रविशंकर के आगे ‘श्रीश्री’ जोड़ लिया जब प्रख्यात सितार वादक रवि शंकर ने उन पर आरोप लगाया कि वे उनके नाम की कीर्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं.

1982 में श्रीश्री रविशंकर ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन की स्थापना की थी. यह शिक्षा और मानवता के प्रचार प्रसार के लिए सशुल्क कार्य करती है. 1997 में ‘इंटरनेशनल एसोसिएशन फार ह्यूमन वैल्यू’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मूल्यों को फैलाना है जो लोगों को आपस में जोड़ती है. श्रीश्री रवि शंकर विश्व स्तर पर एक आध्यात्मिक नेता एवं मानवतावादी धर्मगुरु के रूप में जाने जाते हैं. उनके भक्त उन्हें आदर से प्राय: "श्री श्री" के नाम से पुकारते हैं.

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ये हैं श्रीराम पंचू
श्रीराम पंचू सीनियर वकील और मध्यस्थ हैं. वह द मेडिएशन चेम्बर्स के संस्थापक हैं, जो मध्यस्थता में सेवाएं प्रदान करता है. वह भारतीय मध्यस्थों संघ के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान (IMI) के बोर्ड में निदेशक हैं। उन्होंने 2005 में भारत का पहला कोर्ट एनेक्स मध्यस्थता केंद्र स्थापित किया था और मध्यस्थता को भारत की कानूनी प्रणाली का हिस्सा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें "प्रतिष्ठित मध्यस्थ", "प्रख्यात प्रशिक्षक" और "देश में अग्रणी मध्यस्थों" में से एक के रूप में संदर्भित किया है।

श्रीराम पंचू ने भारत के विभिन्न हिस्से वाणिज्यिक, कॉर्पोरेट और अनुबंध संबंधी विवादों की श्रेणी में जटिल और उच्च-मूल्य विवादों की मध्यस्थता की है. इनमें कंस्ट्रक्शन और प्रॉपर्टी डेवलपमेंट, इनसॉल्वेंसी एंड वाइंडिंग, प्रॉपर्टी विवाद, फैमिली बिजनेस संघर्ष, बौद्धिक संपदा और सूचना प्रौद्योगिकी विवाद शामिल हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक विवादों की भी मध्यस्थता की है. वह सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के पैनल में एक प्रमाणित मध्यस्थ हैं. उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असम और नागालैंड राज्यों के बीच 500 वर्ग किलोमीटर के विवाद और एक अन्य सार्वजनिक विवाद की मध्यस्थता के लिए नियुक्त किया गया था, जिसमें बंबई में पारसी समुदाय शामिल था.