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कारोबारियों को मिली जीएसटी में छूट तो इस हफ्ते झूमा शेयर बाजार

बीते सप्ताह शेयर बाजारों में अच्छी तेजी दर्ज की गई और सेंसेक्स 36,000 अंकों के स्तर तथा निफ्टी 10,800 अंकों के स्तर को पार कर बंद हुआ

Updated on: 12 Jan 2019, 08:38 AM

नई दिल्ली:

बीते सप्ताह शेयर बाजारों में अच्छी तेजी दर्ज की गई और सेंसेक्स 36,000 अंकों के स्तर तथा निफ्टी 10,800 अंकों के स्तर को पार कर बंद हुआ. साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 314.74 अंकों या 0.88 फीसदी की तेजी के साथ 36,009.84 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 67.60 अंकों या 0.63 फीसदी की तेजी के साथ 10,794.95 पर बंद हुआ. बीएसई के मिडकैप सूचकांक में 29.43 अंकों या 0.19 फीसदी की तेजी आई और यह 15,177.03 पर बंद हुआ, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक 7.96 अंकों या 0.05 फीसदी की तेजी के साथ 14,600.37 पर बंद हुआ.

सोमवार को शेयर बाजारों में तेजी का रुख रहा और सेंसेक्स 155.06 अंकों या 0.43 फीसदी की तेजी के साथ 35,850.16 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 49.25 अंकों या 0.46 फीसदी की तेजी के साथ 10,776.60 पर बंद हुआ. मंगलवार को भी बाजार में तेजी रही और सेंसेक्स 130.77 अंकों या 0.36 फीसदी की तेजी के साथ 35,980.93 पर बंद हुआ. निफ्टी 30.35 अंकों या 0.28 फीसदी के साथ 10,802.15 पर बंद हुआ.

बुधवार को लगातार चौथे सत्र में तेजी दर्ज की गई और सेंसेक्स 231.98 अंकों या 0.63 फीसदी की तेजी के साथ 36,212.91 पर तथा निफ्टी 53 अंकों या 0.49 फीसदी की तेजी के साथ 10,855.15 पर बंद हुआ.

गुरुवार को नकारात्मक वैश्विक संकेतों और पिछली रात कच्चे तेल के दाम में हुई वृद्धि के कारण भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट रही. सेंसेक्स 106.41 अंकों या 0.29 फीसदी की गिरावट के साथ 36,106.50 पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 33.55 अंकों या 0.31 फीसदी की गिरावट के साथ 10,821.60 पर बंद हुआ.

शुक्रवार को सेंसेक्स 96.66 अंकों या 0.27 फीसदी की गिरावट के साथ 36,009.84 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 26.65 अंकों या 0.25 फीसदी की गिरावट के साथ 10,794.95 पर बंद हुआ.

बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे -टाटा मोटर्स (5.59 फीसदी), आईटीसी (5.22 फीसदी), टाटा मोटर्स डीवीआर (4.64 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (3.56 फीसदी) और भारती एयरटेल (3.55 फीसदी).

सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे -हीरो मोटोकॉर्प (3.08 फीसदी), यस बैंक (2.93 फीसदी), टाटा स्टील (2.67 फीसदी), बजाज फाइनेंस (2.65 फीसदी) और इंडसइंड बैंक (2.10 फीसदी).

विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आई और पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 70.41 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ.

विदेशी वस्तु बाजार में, कच्चे तेल का जनवरी 2019 का सौदा 23 सेंट्स बढ़कर 61.91 डॉलर प्रति बैरल (एक बैरल करीब 159 लीटर के बराबर होता है) की दर से तय हुआ है.

आर्थिक मोर्चे पर, विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन घटने से देश के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में 2018 के नवंबर में तेज गिरावट दर्ज की गई है, जो केवल 0.5 फीसदी रही. जबकि एक महीने पहले यह 8.4 फीसदी थी. वहीं, एक साल पहले की इसी अवधि में यह 8.5 फीसदी थी.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़े के मुताबिक, विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि दर नवंबर में घटकर 0.4 फीसदी रही, जबकि साल-दर-साल आधार पर इसमें 10.4 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी.

सीएसओ ने एक बयान में कहा, "आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर 2018 के नवंबर का 'औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) सूचकांक का त्वरित अनुमान' 126.4 पर रहा, जो कि 2017 के नवंबर की तुलना में 0.5 फीसदी अधिक है. साल 2018 के अप्रैल-नवंबर की अवधि में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में संचयी विकास दर 5.0 फीसदी रही."

वहीं, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम) क्षेत्र को बड़ी राहत देते हुए जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) परिषद ने गुरुवार को छोटे व्यापारों को छूट सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 40 लाख रुपये कर दिया तथा कंपोजिशन स्कीम में शामिल होने की सीमा को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये कर दिया. साथ ही केरल को दो साल के लिए जीएसटी के ऊपर एक फीसदी आपदा उपकर लगाने की अनुमति दे दी.

अब तक 20 लाख रुपये से कम के कारोबार को जीएसटी में पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं थी.

जीएसटी परिषद की बैठक के बाद यहां फैसलों की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आगे किसी प्रकार की कर छूट की संभावना से इनकार किया और कहा कि 'छूट तभी दी जाएगी, जब राजस्व में इजाफा होगा.'

उन्होंने कहा कि जीएसटी की मूल संरचना के तहत पूरे भारत में 20 लाख रुपये तक के कारोबार को तथा उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों और पहाड़ी इलाकों में 10 रुपये से कम के कारोबार को जीएसटी से छूट दी गई थी.

जेटली ने कहा, "हमने दो स्लैब के साथ दो संरचना को बरकरार रखा है. इसके तहत 20 लाख रुपये की सीमा को दोगुना बढ़ाकर 40 लाख कर दिया गया, जबकि छोटे राज्यों के लिए 10 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया."

वहीं, विश्व बैंक के ताजा अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी रह सकती है और भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में अपने दर्जे को बरकरार रखेगी.

विश्व बैंक द्वारा मंगलवार को जारी वैश्विक आर्थिक अनुमान (जीईपी) रपट में भारत के लिए पिछले साल जून में किए गए अनुमानों को बरकरार रखा गया है. रपट में चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था, जोकि पिछले साल 2017-18 के 6.3 फीसदी के अनुमान से अधिक है.

वहीं, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.4 फीसदी रह सकती है.

विश्व बैंक ने हालांकि चेतावनी दी है कि दक्षिण एशिया में आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक अस्थिरता बढ़ जाएगी.