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SBI के इस फैसले से 42 करोड़ ग्राहकों पर पड़ेगा बड़ा असर, MCLR में नहीं किया कोई बदलाव

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने जून 2019 के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) में कोई बदलाव नहीं किया है.

Updated on: 11 Jun 2019, 07:15 AM

highlights

  • SBI ने जून 2019 के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) में बदलाव नहीं किया 
  • एसबीआई के ग्राहकों को होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन की दरों में कोई कटौती नहीं मिलेगी
  • SBI ने 1 जुलाई से रेपो रेट से जुड़े कर्ज की दरों को 0.25 फीसदी तक घटा दिया है

नई दिल्ली:

सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने जून 2019 के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) में कोई बदलाव नहीं किया है. एसबीआई के ग्राहकों को सस्ते कर्ज के लिए अभी और इंतजार करना होगा. बैंक के इस कदम से एसबीआई के ग्राहकों को होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन की दरों में कोई कटौती नहीं मिलेगी. रिजर्व बैंक के ब्याज दरों में कटौती के बावजूद SBI ने MCLR में कटौती नहीं की है. इसका मतलब है कि एसबीआई के ग्राहकों को सस्ते लोन के लिए फिलहाल इंतजार करना होगा.

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फिलहाल कितना है MCLR

  • SBI की 1 साल की MCLR 8.45 फीसदी पर बरकरार
  • 6 महीने की MCLR 8.3 फीसदी पर बरकरार
  • 3 महीने की MCLR 8.15 फीसदी पर बरकरार
  • 2 साल की MCLR 8.55 फीसदी पर बरकरार है

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रेपो रेट से जुड़े कर्ज दरों में मिलेगा लाभ
गौरतलब है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 1 जुलाई से रेपो रेट से जुड़े कर्ज की दरों को 0.25 फीसदी तक घटा दिया है. 1 जुलाई से रेपो रेट से लिंक सभी कर्ज 0.25 फीसदी तक सस्ते मिलने लगेंगे.

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MCLR क्या है - What is MCLR
MCLR को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट भी कहते हैं. इसके तहत बैंक अपने फंड की लागत के हिसाब से लोन की दरें तय करते हैं. ये बेंचमार्क दर होती है. इसके बढ़ने से आपके बैंक से लिए गए सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं. साथ ही MCLR घटने पर लोन की EMI सस्ती हो जाती है.