NPA में मिले सुधार के संकेत, RBI के आंकड़ों में खुलासा
NPA : आरबीआई (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि फंसे हुए ऋण यानी एनपीए (NPA) के मामलों में सुधार हुआ है.
नई दिल्ली:
NPA : भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि फंसे हुए ऋण यानी एनपीए (NPA) के मामलों में सुधार हुआ है और मार्च में वित्तीय परिणामों के दौरान इनमें और कमी आ सकती है. हालांकि आरबीआई (RBI) गवर्नर ने यह भी कहा कि इस सुधार के बावजूद एनपीए (NPA) अभी भी काफी ज्यादा बना हुआ है.
आरबीआई (RBI) ने जारी अपनी अर्द्ध वार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) में कहा है कि सितंबर 2018 तक बैंकों के कुल एनपीए (NPA) अपने कुछ लोन का 10.8 फीसदी था, जो मार्च 2018 में 11.5 फीसदी पर था. इस रिपोर्ट में बैंक ने कहा कि मार्च 2019 तक एनपीए (NPA) का यह अनुपात और घट कर 10.3 फीसदी पर आ सकता है.
जहां तक कर्ज देने वाले बैंकों की बात करें तो इनमें सरकारी बैंकों का कुल एनपीए (NPA) मार्च 2019 तक घट कर 14.6 प्रतिशत रह सकता है जो सितंबर 2018 में 14.8 प्रतिशत था. वहीं, निजी बैंकों का अनुपात 3.8 प्रतिशत से घटकर 3.3 प्रतिशत हो सकता है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बड़े कर्जदार एनपीए (NPA) की समस्या के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों के कुल ऋण का 54.6 प्रतिशत इन्हीं बड़े कर्जदारों को दिया गया, जबकि कुल एनपीए (NPA) का 83.4 प्रतिशत हिस्सा नहीं चुकाने के लिए है यही बड़े कर्जदार जिम्मेदार हैं.
100 बड़े कर्जदारों का है 21% एनपीए (NPA)
बैंकों के कुल कर्ज में बड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी 54.6 फीसदी है. लेकिन ग्रॉस एनपीए (NPA) में इनका हिस्सा 83.4 फीसदी है. 100 बड़े कर्जदारों को बैंकों ने 16 फीसदी लोन दे रखा है. एनपीए (NPA) में इनका हिस्सा 21.2 फीसदी है.
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