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संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश होगा ये नया बिल, बढ़ेंगी देशवासियों की मुश्किलें

नोटबंदी के एक साल होने के बाद मोदी सरकार अब बैंकिंग सेक्टर में एक और नया कानून बना रही है।

Updated on: 06 Dec 2017, 01:49 AM

नई दिल्ली:

नोटबंदी के एक साल होने के बाद मोदी सरकार अब बैंकिंग सेक्टर में एक और नया कानून बना रही है। इस कानून का असर न सिर्फ बैंकों पर पड़ेगा बल्कि सेविंग एकाउंट रखने वाले ग्राहक भी इस कानून के दायरे में आ जाएंगे।

मोदी सरकार फाइनैंशियल रैजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरैंस बिल (एफआरडीआई) 2017 को जोर-शोर से तैयार कर आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश करने की तैयारी कर रही है।

मोदी सरकार आने वाले शीतकालीन सत्र में यह बिल पेश करेगी और उम्मीद है कि यह बिल पास भी हो जाएगा। इसे मानसून सत्र के दौरान जॉइंट पार्लियामेंट्री समिति के पास भेजा गया गया था जिन्होंने नए सुझाव दिए थे। सुझावों के बाद अब सरकार दुबारा इस बिल को पेश करेगी।

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इस बिल के आने के बाद अभी चल रहे डिपाजिट इन्शोरेन्स एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन को खत्म कर दिया जाएगा। इसी कानून में एक अहम प्रावधान यह है कि अगर कोई बैंक दिवालिया घोषित होती है तो उसे बैंक में एकाउंट रखने वाले ग्राहकों को 1 लाख तक डिपॉजिट वापस करना होगा।

मगर नए बिल के तहत वित्त मंत्रालय के अधीन एक नए रेगुलेशन कॉरपोरेशन बनाया जाएगा। फिलहाल किसी भी बैंक के दिवालिया हो जाने के बाद उसे आर्थिक संकट से बाहर निकलने का काम रिज़र्व बैंक करती है मगर अब नया कॉरपोरेशन यह काम करेगा।

फिलहाल बैंक दिवालिया होने के बाद केंद्र सरकार उसे दुबारा खड़ा करने के लिए बेलआउट पैकेज देती है। मगर नए कानून पास होने के बाद ऐसा नहीं होगा।

रेगुलेशन कॉरपोरेशन यह तय करेगी कि डिपॉजिट पैसे में से ग्राहक कितने पैसे निकाल सकता है। नए कानून आने के बाद केंद्र सरकार तय करेगी की संकट के समय ग्राहकों को कितने पैसे निकालने की छूट दी जाए। उनके बचत की कितनी रकम के जरिए बैंकों के गंदे कर्ज को खत्म करने का काम किया जाए।

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