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जेट एयरवेज के कर्मचारियों ने संकट के लिए सरकार, कर्जदाताओं को ठहराया जिम्मेदार

जेट एयरवेज के कर्मचारियों ने वेतन के भुगतान में विलंब और कंपनी की बदहाली के लिए गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार और कर्जदाताओं को जिम्मेदार ठहराया

Updated on: 18 Apr 2019, 08:12 PM

नई दिल्ली:

जेट एयरवेज के कर्मचारियों ने वेतन के भुगतान में विलंब और कंपनी की बदहाली के लिए गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार और कर्जदाताओं को जिम्मेदार ठहराया. वित्तीय संकट के कारण जेट एयरवेज की सभी उड़ानें गुरुवार को अस्थायी रूप से बंद हो गईं, जिस कारण कर्मचारियों के सामने बेरोजगारी का खतरा पैदा हो गया है.  जेट एयरवेज के विभिन्न विभागों के सैकड़ों कर्मचारी यहां जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए और उन्होंने एयरलाइन को दोबारा चालू करने के लिए सरकार से कुछ करने की अपील की. 

एयरलाइन में सिक्योरिटी सुपरवाइजर सोनल गुप्ता ने कहा, "सरकार को इसे बेहतर तरीके से संचालित की होती और आपातकालीन वित्तपोषण प्रदान करके समय पर हस्तक्षेप किया जाता तो एयरलाइन को बचाया जा सकता था."

गुप्ता को पिछले दो महीने से वेतन नहीं मिला है और उनको अपने बच्चों की स्कूल फीस भरने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. 

प्रदर्शनकारी ज्यादातर कर्मचारियों ने बताया कि उनको बिना भुगतान के अवकाश पर जाने को कहा गया है. इंजीनियरिंग विभाग में काम करने वाले एक कर्मचारी ने कहा कि संकट के लिए कर्जदाता ज्यादा कसूरवार हैं. 

नाम जाहिर न करने की इच्छा रखने वाले इस कर्मचारी ने कहा, "पहले उन्होंने 1,500 करोड़ रुपये देने का वादा किया. उसके बाद उन्होंने कहा कि वे 1,000 करोड़ रुपये का अंतरिम वित्तपोषण प्रदान करेंगे. अंत में उन्होंने कोई भी अंतरिम मदद देने से इनकार कर दिया."

एक एग्जिक्यूटिव ने कहा, "हमारे पास अब करने को कुछ नहीं है. सिक्योरिटी और इंजीनियरिंग विभाग सेवा में तीसरे पक्ष हैं. हमारे पास तब तक करने को कुछ नहीं है जब तक दोबारा उड़ानें शुरू नहीं हो जातीं."

जेट एयरवेज के पास करीब 16,000 कर्मचारी कंपनी के रॉल पर हैं और 6,000 अनुबंध पर हैं.