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भारत भविष्य में सर्वाधिक पारदर्शी और खुली अर्थव्यवस्था वाला देश होगा: अरुण जेटली

जेटली विशाखापट्टनम में दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल होने आए थे।

Updated on: 28 Jan 2017, 07:26 AM

विशाखापट्टनम:

भारत दुनिया की एक सर्वाधिक पारदर्शी, खुली अर्थव्यवस्था वाला देश बन रहा है। क्योंकि संरक्षणवाद की लहर के बीच एक के बाद एक क्षेत्र विदेशी निवेश के लिए खोले जा रहे हैं।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को एक सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत में 90 फीसदी निवेश ऑटोमेटिक मोड से आ रहा है, जो पारदर्शिता और व्यापार में आसानी को प्रतिबिंबित करता है। जेटली विशाखापट्टनम में दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल होने आए थे।

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उन्होंने 40 देशों के प्रतिनिमंडलों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में अवसंरचना और ग्रामीण क्षेत्रों में भारी निवेश किया जा रहा है, जिसके कारण विकास प्रक्रिया बनी हुई है। जेटली ने कहा कि दुनिया के सामने मंदी से निपटने की बड़ी चुनौती है। 

मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों से भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी और उचित दर से आगे बढ़ रहा है।  इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण लोगों के रवैये और सोच में बदलाव है। 

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उन्होंने कहा, 'इतिहास में हमने पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं देखी, जहां भारत के लोगों ने सामने आकर अर्थव्यवस्था और समाज में परिवर्तन की खुलकर मांग की हो। यह लोगों की आकांक्षा को दिखाता है।'

नोटबंदी पर उन्होंने कहा कि हालांकि इसने थोड़े समय के लिए सिस्टम को हिलाकर रख दिया है, लेकिन इससे धीरे-धीरे समानांतर अनाधिकारिक अर्थव्यवस्था आधिकारिक अर्थव्यवस्था में बदल रही है। 

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उन्होंने कहा कि आधिकारिक अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ रहा है और इससे बैंकिंग और डिजिटल भुगतान में भी तेजी आ रही है। 

उन्होंने कहा कि नोटबंदी पिछले एक साल में हुए तीन प्रमुख बदलावों में से एक है। उन्होंने वर्णन करते हुए कहा कि भारत में ज्यादातर लोग कर नहीं चुकाते। केंद्र और राज्य सरकारें राजस्व बढ़ाने के लिए संघर्ष करती है। नोटबंदी से लोगों को करों के दायरे में लाने में मदद मिली है। 

उन्होंने कहा कि वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) से केंद्र और राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी और आधिकारिक अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा। 

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उन्होंने तीसरा महत्वपूण बदलाव जेएएम (जनधन, आधार और मोबाइल) को बताया जो वित्तीय समावेशन को आसान बनाता है। उन्होंने कहा कि जेएएम से सरकार को लक्षित सब्सिडी मुहैया कराने में मदद मिलती है, जिसके कारण सरकारी धन की बचत हुई है और इसे निर्धन लोगों पर खर्च किया जाएगा।