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पर्सनल लोन के लिए इंटरेस्ट रेट कैसे तय होते हैं, आपको जरूर जानना चाहिए

आपकी प्रोफाइल से पर्सनल लोन (Personal Loan) की ब्याज दरें तय होती हैं. ज्यादातर मामलों में पर्सनल लोन की ब्याज दरें इनकम प्रोफाइल के आधार पर तय होती हैं

Updated on: 18 Apr 2019, 08:59 AM

नई दिल्ली:

आप जब कभी भी पर्सनल लोन (Personal Loan) लेने जाते होंगे तो आपके दिमाग में एक बात हमेशा आती होगी कि इस लोन पर ब्याज कैसे कैलकुलेट होता है. आमतौर पर लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती है. एक्सपर्ट के मुताबिक जब भी आप पर्सनल लोन लेने जाएं तो बैंक के प्रतिनिधि से उसपर लगने वाले ब्याज के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए.

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एक्सपर्ट के मुताबिक पर्सनल लोन पर बैंक ब्याज दो तरीके से कैलकुलेट करते हैं. पहला प्रतिदिन या मासिक रिड्यूशिंग बैलेंस मैथेडेलॉजी (Reducing Balance Methodology) और दूसरा सालाना रिड्यूशिंग मैथेडेलॉजी. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आप प्रतिदिन या मासिक रिड्यूशिंग बैलेंस मैथेडेलॉजी के तहत लोन लेते हैं, तो हर महीने हजारों रुपये का फायदा होने की संभावना है.

बकाया लोन पर होती है ब्याज की गणना
एक्सपर्ट के मुताबिक पर्सनल लोन पर अगर ब्याज प्रतिदिन या मासिक रिड्यूशिंग बैलेंस मैथेडेलॉजी के तहत कैलकुलेट होती है तो इसके तहत बची हुई रकम पर ब्याज की गणना होती है. ऐसा करने से आपकी EMI हर महीने कम होती जाती है. इस तरह से आपके पर्सनल लोन पर इफेक्टिव इंटरेस्‍ट कम हो जाता है.

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सालाना रिड्यूशिंग मैथेडेलॉजी से नुकसान
एक्सपर्ट का कहना है कि सालाना रिड्यूशिंग मैथेडेलॉजी के तहत साल की शुरुआत में ही आपके बकाया पर्सनल लोन पर ब्याज की गणना की जाती है. इसकी वजह से आप अगले एक साल तक जो EMI देते हैं उस पर भी ब्याज देना पड़ता है. इस तरीके में आपके पर्सनल लोन का ब्याज एक साल के बाद ही कम हो पाता है.

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प्रोफाइल से तय होती है ब्याज दर
सामान्तया बैंक सालाना 10 फीसदी से 16 फीसदी तक के ब्याज पर आपको पर्सनल लोन देते हैं. ज्यादातर मामलों में पर्सनल लोन की ब्याज दरें आपकी इनकम प्रोफाइल के आधार पर तय होती हैं. आपकी कंपनी, सैलरी, सैलरी अकाउंट को देखकर ब्याज दरें तय होती हैं. अगर आपका सैलरी अकाउंट है तो संबंधित बैंक आपको पर्सनल लोन के लिए ब्याज में कुछ छूट भी दे सकता है.

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