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PNB घोटाले का सबक, वित्त मंत्रालय ने कहा-45 दिनों के भीतर बड़े कर्जदारों का पासपोर्ट डिटेल्स जुटाएं बैंक

पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) में हुए घोटाले के बाद वित्त मंत्रालय ने सभी सरकारी बैंकों को 45 दिनों के भीतर अपने उन कर्जदारों के पासपोर्ट से जुड़ी जानकारी जमा करने को कहा है, जिन्होंने 50 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज ले रखा है।

Updated on: 07 Mar 2018, 12:14 AM

highlights

  • पीएनबी घोटाले के बाद हरकत में आया वित्त मंत्रालय
  • मंत्रालय ने दिया सरकारी बैंकों को अहम निर्देश 
  • सरकारी बैंकों को 45 दिनों के भीतर बड़े कर्जदारों का पासपोर्ट डिटेल्स जमा करने का निर्देश

नई दिल्ली:

पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) में हुए घोटाले से सबक लेते हुए वित्त मंत्रालय ने सभी सरकारी बैंकों को 45 दिनों के भीतर अपने उन कर्जदारों के पासपोर्ट से जुड़ी जानकारी जमा करने को कहा है, जिन्होंने 50 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज ले रखा है।

सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय का यह निर्देश नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे कथित भगोड़ों के बैंक का कर्ज लेकर देश से भागने की स्थिति से निपटने की दिशा में उठाया गया कदम है।

सूत्रों ने कहा कि अगर किसी कर्जदार के पास पासपोर्ट नहीं है तो उसे यह घोषणापत्र देना होगा कि उसके पास कोई पासपोर्ट नहीं है।

इस निर्देश में कहा गया है कि लोन के लिए भरे जाने वाले फॉर्म में अब पासपोर्ट से जुड़ी जानकारियां भी दी जानी चाहिए। पासपोर्ट से जुड़ी जानकारी होने की स्थिति में बैंकों को कर्ज लेकर भागने वाले किसी कर्जदार के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने में मदद मिलेगी और ऐसे लोगों को देश छोड़कर भागने से रोका जा सकेगा।

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गौरतलब है कि नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या और जतिन मेहता जैसे डिफॉल्टर्स देश के बैंकों से कर्ज लेकर भाग चुके हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में कैबिनेट ने फ्यूजिटिव इकनॉमिक ऑफेंडर्स बिल को मंजूरी दी है। यह बिल कर्ज लेकर देश से भाग जाने वाले डिफॉल्टर्स की सभी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश देता है।

पिछले हफ्ते ही वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों को 50 करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए खाते की जांच करने का आदेश दिया था।

इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नैशनल फाइनैंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए) की स्थापना को मंजूरी दी है, जो ऑडिटर्स की स्वतंत्र रूप से निगरानी करने वाली संस्था होगी।

गौरतलब है कि पीएनबी घोटाले में ऑडिटिंग को सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है।

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