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अंतरिम बजट सत्र को सुचारू तरीके से चलाने के लिए 30 और 31 जनवरी को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक

1 फरवरी से 13 फरवरी तक संसद का सत्र बुलाया गया है. इस सत्र में सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी. नई सरकार चुने जाने के बाद पूर्ण बजट पेश किया जाएगा.

Updated on: 27 Jan 2019, 12:24 PM

नई दिल्ली:

संसद के अंतरिम बजट सत्र से पहले लोकसभा और राज्‍यसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चले, इसके लिए लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन और राज्‍यसभा चेयरमैन एम वेंकैया नायडू ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन ने 30 जनवरी को तो राज्‍यसभा के चेयरमैन एम वेंकैया नायडू ने 31 जनवरी को बैठक बुलाई है. सवर्दलीय बैठक में दोनों सदनों के सुचारू तरीके से चलाने पर चर्चा की जाएगी.

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बता दें कि 1 फरवरी से 13 फरवरी तक संसद का सत्र बुलाया गया है. इस सत्र में सरकार अंतरिम बजट पेश करेगी. नई सरकार चुने जाने के बाद पूर्ण बजट पेश किया जाएगा. इस बार का बजट वित्‍त मंत्री अरुण जेटली की गैर मौजूदगी में कार्यवाहक वित्‍त मंत्री बनाए गए पीयूष गोयल अंतरिम बजट पेश करेंगे. वित्‍त मंत्री स्‍वास्‍थ्‍य कारणों से अमेरिका गए हुए हैं और बजट पेश करने के दौरान मौजूद नहीं रहेंगे.

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इस बार कुछ बड़ा कर सकती है सरकार
इस बार अंतरिम बजट पीयूष गोयल पेश करने वाले हैं. माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सरकार इस बार बजट में कुछ खास करने वाली है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की चुनावी चिंताओं के लिहाज से यह तय है कि अंतरिम बजट महज औपचारिकता नहीं रहने वाला है. संकेत हैं कि इस अंतरिम बजट में कुछ लोकलुभावन घोषणाएं जरूर होंगी. वित्त मंत्रालय के दो विभागीय आदेश इस बात की पुष्टि करते प्रतीत होते हैं. मंत्रालयों से कहा गया कि वे '10 जनवरी 2019 तक अप्रैल-जुलाई के खर्च और जरूरतों की न्यायसंगत समीक्षा करते हुए अपने मद भेज दें.'

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चर्चा यह भी
सियासी गलियारों में सरकार के दो बड़े उपायों पर चर्चा चल रही है. खबर है कि इनमें से एक भावांतर योजना की तर्ज पर किसानों के लिए बड़ी घोषणा हो सकती है. इसके जरिए मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार किसानों के खाते में सीधे नकद रकम हस्तांतरित करती थी और नौकरीपेशा वर्ग के लिए आयकर की सीमा को ऊपर करने के उपाय की भी चर्चा है.

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क्‍या है अंतरिम बजट
अंतरिम बजट चुनावी साल में कुछ वक्त तक देश को चलाने के लिए खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता है. नई सरकार बनाने के लिए जो समय होता है, उस अवधि के लिए अंतरिम बजट संसद में पेश किया जाता है. इस बजट में कोई भी ऐसा फैसला नहीं किया जाता है, जिसमें ऐसे नीतिगत फैसले हों जिसके लिए संसद की मंजूरी लेनी पड़े या फिर कानून में संशोधन की जरूरत हो. अंतरिम बजट की परंपरा है कि इसमें डायरेक्ट टैक्स, जिसमें इनकम टैक्स शामिल है, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाता. इनडायरेक्ट टैक्सों में भी कम ही बदलाव किया जाता है. सरकार अगर कोई चीज सस्ती करनी चाहे तो वह इंपोर्ट, एक्साइज या सर्विस टैक्स में थोड़ी राहत देती है. अमूमन यह देखा गया है कि अगर किसी और पार्टी की सरकार केंद्र में बनती है तो वह बजट में लिए गए कदमों में बदलाव कर देती है. वह अपनी सोच और नीति के साथ बजट तय करती है. इसलिए अंतरिम बजट में कुछ भी कदम उठाने से बचा जाता है.