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मायानगरी में सपनों के साथ कड़ा संघर्ष भी है जरूरी: राजकुमार राव

हरियाणा के गुड़गांव में जन्मे राजकुमार ने पुणे के एफटीआईआई में पढ़ाई की। इसके लिए वह हर दरवाजे गए और फिल्मों में काम पाने के लिए कई भूमिकाओं के ऑडिशंस भी दिए, लेकिन उन्हें लिया नहीं गया।

Updated on: 19 Mar 2017, 08:46 PM

नई दिल्ली:

राजनीति के साथ-साथ अब बॉलीवुड में भी परिवारवाद और भाई-भतीजावाद ​का बोलबाला है। फिल्मों में बिना किसी गॉड फादर के एंट्री करने वालों को यहां काफी संघर्ष करना पड़ता है। इन कलाकारों की लिस्ट बेहद लंबी है, जिन्होंने बिना किसी गॉड फादर के सफलता हासिल की और आज शीर्ष मुकाम पर हैं।

नवाजुद्दीन सिद्दकी और इरफान खान इसके बेहतरीन उदाहरण मानें जाते हैं। लेकिन यहां आने वाला हर कलाकार शुरू से ही अपने सपनों के साथ कड़े संघर्ष को भी मायानगरी की चकाचौंध में लाने को तैयार होता है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता राजकुमार राव भी उन्हीं कलाकारों में शुमार किए जाते हैं।

राजकुमार राव ने अपनी आगामी फिल्म 'ट्रैप्ड' की रिलीज के बाद बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करते हुए मैं संघर्ष का सामना करने के लिए तैयार था।

राजकुमार ने कहा, 'फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैं फिल्म उद्योग में संघर्ष के लिए तैयार था। मुझे पता था कि मैं सिर्फ उन कलाकारों में से था, जो अपना सपना पूरा करने के लिए मुंबई आए थे। मुझे पता था कि कोई भी खुली बाहों से मेरे स्वागत नहीं करेगा और दर्शक मौका पाने का एकमात्र तरीका था, इसलिए मैंने संघर्ष किया और मुझे उस प्रक्रिया के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली।'

हरियाणा के गुड़गांव में जन्मे राजकुमार ने पुणे के एफटीआईआई में पढ़ाई की। इसके लिए वह हर दरवाजे गए और फिल्मों में काम पाने के लिए कई भूमिकाओं के ऑडिशंस भी दिए, लेकिन उन्हें लिया नहीं गया।

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राजकुमार ने कहा, 'ऐसा वक्त भी था जब कुछ भी ठीक नहीं था। मेरे पास कोई योजना नहीं थी, मुझे शुरुआत से ही यकीन था कि लोगों को मेरा अभिनय पसंद है और अपने बाकी बचे जीवन में यही करना चाहता था, इसलिए मैं संघर्ष के लिए तैयार था।'

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