मलाला यूसुफजई ने की 'पैडमैन' की तारीफ, ट्विंकल खन्ना ने दिए सवालों के सटीक जवाब
मलाला ने 'पैडमैन' की निर्माता टिवंकल खन्ना से दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित बहसकारी समाज 'द ऑक्सफोर्ड यूनियन' के दौरान मुलाकात की थी।
इस्लामाबाद/लंदन:
पाकिस्तानी कार्यकर्ता और नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने मासिक धर्म के दिनों में स्वच्छता पर जोर देने के संदेश वाली फिल्म 'पैडमैन' का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि इस फिल्म का संदेश वास्तव में लोगों को प्रेरणा देता है।
मलाला ने 'पैडमैन' की निर्माता टिवंकल खन्ना से दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित बहसकारी समाज 'द ऑक्सफोर्ड यूनियन' के दौरान मुलाकात की थी। मलाला ने ट्विंकल से कहा, 'मैं पैडमैन फिल्म देखने के लिए बहुत उत्साहित हूं, क्योंकि इस फिल्म का संदेश बहुत ही प्रेरणादायक है।' ट्विंकल यहां कई सांस्कृतिक, राजनीतिक और कई नामी हस्तियों के साथ मौजूद थीं।
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ट्विंकल की फिल्म 'पैडमैन' पहले 25 जनवरी को रिलीज होने जा रही थी, लेकिन 'पद्मावत' भी इसी दिन रिलीज होगी। ऐसे में संजय लीला भंसाली ने अक्षय कुमार से 'पैडमैन' को बाद में रिलीज करने की गुजारिश की। अब अक्षय की मूवी 9 फरवरी 2018 को सिनेमाघरों पर दस्तक देगी।
From period taboos to period poverty, @mrsfunnybones takes the conversation on menstrual hygiene global at @OxfordUnion, the debating society of #OxfordUniversity pic.twitter.com/1o6zW8HJyP
— Akshay Kumar (@akshaykumar) January 19, 2018
'पैडमैन' सामाजिक उद्यमी और कार्यकर्ता अरुणाचलम मुरुगनाथम के जीवन और कार्यो पर आधारित है। मुरुगनाथम 20 साल पहले कम लागत वाली सैनिटरी पैड बनाने की मशीन की खोज से भारत के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता में क्रांतिकारी बदलाव लाए थे।
द ऑक्सफोर्ड यूनियन में ट्विंकल से बात करने के लिए छात्र काफी उत्सुक नजर आए। वहां पहली बार एक भारतीय फिल्म दिखाई गई। सत्र के दौरान ट्विंकल ने दर्शकों को बताया कि क्यों दुनिया को इस कहानी के बारे में जानने की जरूरत है और मासिक धर्म के समय स्वच्छता से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालना जरूरी है।
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उन्होंने कहा, 'माहवारी पर एक फिल्म बनाने के पीछे मेरा सबसे पहला मकसद एक ऐसे विषय पर जागरूकता फैलाना था, जिसे अब तक पर्दे में ही रखा जाता रहा है और इसे शर्मिदगी से जोड़कर देखा जाता है।'
ट्विंकल ने वैश्विक स्तर पर समस्याओं को समान तरीके से देखे जाने की बात पर जोर देते हुए कहा, 'पहले मुझे लगता था कि माहवारी से जुड़ी शर्म केवल मेरे देश और अफ्रीका, बांग्लादेश जैसे देशों में है, लेकिन प्लान इंटरनेशनल यूके जैसे कई समूहों के अनुसार, ब्रिटेन में 10 में से एक लड़की माहवारी के दौरान स्कूल नहीं जाती, क्योंकि वह महंगा सिनैटरी पैड खरीदने में सक्षम नहीं होती है। मुश्किल दिनों में फटे-पुराने कपड़े जैसे घरेलू विकल्पों से काम चलाती हैं।'
सवाल-जवाब सत्र के दौरान ट्विंकल ने वहां मौजूद लोगों से पूछा कि इस समय कौन माहवारी के दौर से गुजर रही है, इस पर वहां बैठी कई महिलाओं ने हाथ उठाया। इसके बाद ट्विंकल ने कहा, 'अब यहां पैरों के बीच में पुराने खराब कपड़े, मोजे या फिर अखबार के टुकड़े को लगाकर बैठने की कल्पना कीजिए। क्या आपके लिए उस स्थिति में पढ़ाई कर पाना संभव होगा?'
उन्होंने कहा, 'स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होने के बावजूद पैड एक महंगी वस्तु है। यह अजीब है कि स्वच्छता अभियान चलाने वाले भारत में सैनिटरी पैड पर जीएसटी लगाकर 12 फीसदी टैक्स लगाया जाता है, लेकिन झाड़ू करमुक्त है, क्योंकि वहां अपने शरीर को साफ रखने से ज्यादा महत्वपूर्ण अपने घर को साफ रखना है। अमेरिका में टैमपन्स (महिलाओं की स्वच्छता से संबंधित उत्पाद) पर भी कर लगता है, लेकिन वहां वियाग्रा कर मुक्त है। ऐसी नीतियां शायद 65 वर्षीय पुरुषों द्वारा बनाई गई हैं।'
ट्विंकल से जब पूछा गया कि क्या वह यह स्वीकार करती हैं कि माहवारी के दौरान धार्मिक कृत्य एक तरह की रुकावट पैदा करते हैं? इस पर ट्विंकल ने कहा, 'हिंदू धर्म में आप अक्सर यज्ञ के सामने पुजारी को पसीना बहाते हुए देखेंगे। अगर ईश्वर उनका पसीना स्वीकार कर सकते हैं तो फिर वह हमारा रक्त भी स्वीकार कर सकते हैं।'
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