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'पद्मावती' की समीक्षा के लिए सेंसर बोर्ड गठित करेगा इतिहासकारों की समिति

हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनाव से ठीक पहले 'पद्मावती' पर राजपूत संगठनों ने इसके खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया था।

Updated on: 23 Dec 2017, 05:18 PM

highlights

  • फिल्म अगले साल मार्च तक रिलीज हो सकती है, 'पद्मावती' को पहले निर्माताओं के पास वापस भेज दिया गया था, क्योंकि उन्होंने उस कॉलम को रिक्त छोड़ दिया था
  • इसमें यह लिखना था कि यह फिल्म काल्पनिक है या ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है: सूत्र

 

नई दिल्ली:

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) फिल्म 'पद्मावती' की समीक्षा के लिए इतिहासकारों की समिति गठित करेगा। यह फिल्म अगले साल मार्च तक रिलीज हो सकती है।

प्रमाणन बोर्ड में मौजूद सूत्र ने कहा कि 'पद्मावती' के निर्माताओं ने फिल्म के प्रमाणन के लिए भेजे अपने आवेदन के साथ अस्पष्ट दावापत्र लगाकर मामले को व्यर्थ में जटिल कर दिया।

आवेदन में उन्होंने लिखा कि फिल्म आंशिक रूप से ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है।

सूत्र ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि अब प्रामाणिकता के लिए सामग्री की छानबीन करनी होगी। फिल्म को पहले निर्माताओं के पास वापस भेज दिया था, क्योंकि उन्होंने उस कॉलम को रिक्त छोड़ दिया था, जिसमें यह लिखना था कि यह फिल्म काल्पनिक है या ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है।

सूत्र ने बताया कि सीबीएफसी ने कहा कि 'पद्मावती' को जनवरी में ही प्रमाणित किया जा सकता है, क्योंकि दिसंबर तो लगभग बीत रहा है। 'पद्मावती' से पहले विभिन्न भाषाओं की कम से कम 40 फीचर फिल्में कतार में हैं।

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सूत्र ने कहा कि वर्ष का अंतिम महीना होने के कारण बोर्ड के कुछ सदस्य छुट्टी पर हैं और कुछ अन्य बीमार हैं।

समीक्षा के लिए क्या इतिहासकारों की समिति गठित होगी? इस सवाल पर सूत्र ने कहा, 'पैनल नियुक्त करने की बात छोड़िए, हमारे पास फिल्मों को देखने के लिए सामान्य जांच समिति भी नहीं है।'

सूत्र ने कहा, 'फिल्म के जनवरी के दूसरे सप्ताह में प्रमाणित होने की संभावना है। मुझे नहीं लगता कि वे मार्च या अप्रैल से पहले फिल्म को रिलीज कर सकेंगे। यह भी तब होगा, जब सीबीएफसी फिल्म को बिना किसी आपत्ति के प्रमाणित कर दे।'

हिमाचल प्रदेश और गुजरात चुनाव से ठीक पहले 'पद्मावती' पर राजपूत संगठनों ने इसके खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया था।

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