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3 साल मोदी सरकार: उरी हमले से हिल गया बॉलीवुड, पाकिस्तानी कलाकारों पर गिरी गाज

18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकी हमला हुआ था।

Updated on: 25 May 2017, 08:04 PM

नई दिल्ली:

25 मई 2017 को मोदी सरकार तीन साल पूरे कर रही है। इन सालों में देश को 'मेक इन इंडिया' और 'स्वच्छ भारत अभियान' जैसी तमाम योजनाओं की सौगात मिली तो आतंकी हमलों जैसी मुसीबतों का भी सामना करना पड़ा। 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें हमारे 18 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले से भारत और पाकिस्तान का रिश्ता तो खराब हुआ ही, साथ ही इसका असर आम जनता के साथ-साथ बॉलीवुड पर भी पड़ा। 

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एक तरफ देश की सीमा पर तनाव बढ़ रहा था। तो दूसरी तरफ बॉलीवुड भी इससे खासा प्रभावित हुआ। दरअसल इस घटना के बाद पाकिस्तानी कलाकारों का बॉलीवुड में बैन लग गया। वहीं इस बीच केंद्र की नुमाइंदगी करने वाली सेंसर बोर्ड ने धार्मिक भावनाओं का हवाला देते हुए कई फिल्मों की रिलीज पर रोक लगा दी। जिसकी पूरे बॉलीवुड ने कड़ी आलोचना की।    

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कब हुई इसकी शुरुआत

इसकी शुरुआत जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले से हुई थी। इस हमले के बाद मुंबई में राज ठाकरे की पार्टी 'मनसे' ने पाकिस्तानी कलाकारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। फिर फिल्म निर्माताओं के संगठन 'इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन (इम्पा)' ने पाक कलाकारों की मुश्किलें बढ़ा दी। बरसों से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कलाकारों पर सवाल उठाए गए तो कई ने हमेशा के लिए बॉलीवुड का से नाता तोड़ दिया।  

फवाद खान को छोड़ना पड़ा भारत

'मनसे' की धमकी के बाद पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान ने भारत छोड़ दिया। वह उस वक्त करण जौहर की फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' में काम कर रहे थे। उनके जाने पर बॉलीवुड में हंगामा मच गया। कुछ कलाकारों ने इसका विरोध किया तो किसी ने समर्थन। लेकिन करण ने फवाद के साथ नाइंसाफी नहीं की। उन्होंने फवाद के सीन्स नहीं काटे और फिल्म को काफी मुश्किलों के बाद रिलीज कराया। 

माहिरा-अली जफर लौटे पाकिस्तान

शाहरुख खान की फिल्म 'रईस' की हिरोइन माहिरा खान भी शूटिंग के बाद पाकिस्तान लौट गई थीं। वहीं 'तेरे बिन लादेन' और 'मेरे ब्रदर की दुल्हन' जैसी फिल्में कर चुके अली जफर भी पाकिस्तान चले गए। 

धार्मिक भावना का हवाला देकर फिल्मों पर चली कैंची और लगी रोक

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड हिंदी फिल्मों को सर्टिफिकेट देता है और इसके बाद ही मूवीज रिलीज हो पाती हैं। इन तीन सालों में फिल्मी दुनिया को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। CBFC के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने कई फिल्मों को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का हवाला देते हुए रिलीज पर रोक लगा दी। 

1. उड़ता पंजाब के 89 सीन्स पर चली कैंची

अनुराग कश्यप की फिल्म 'उड़ता पंजाब' को 89 सीन काटे जाने के बाद सेंसर बोर्ड ने रिलीज करने की अनुमति दी थी। उस वक्त पंजाब में चुनाव होने वाले थे। कहा जाता है कि फिल्म में पंजाब में फैले ड्रग्स के जाल और नशे की समस्या का असली चेहरा दिखाया गया था, जिसे चुनाव की वजह से सामने नहीं आने दिया गया। अनुराग ने तो यह तक कह दिया कि पहलाज नियम-कानून को दरकिनार कर सेंसर बोर्ड चला रहे हैं। 

2. 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' को नहीं मिला सर्टिफिकेट

अलंकृता श्रीवास्तव की फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' को आपत्तिजनक सीन्स और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने की वजह से सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। इसकी काफी आलोचना भी हुई थी। फिल्म के निर्माता प्रकाश झा का कहना था कि उन्हें बताया गया कि इसमें यौन दृश्य, अपमानजनक शब्द और अश्लील ऑडियो हैं। जबकि खबरों की मानें तो फिल्म के टाइटल में इस्तेमाल बुर्का शब्द पर भी सेंसर बोर्ड को आपत्ति थी। इस फिल्म को मुंबई फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म का ऑक्सफैम अवॉर्ड मिल चुका है। 

3. धार्मिक मान्यताओं को 'अनफ्रीडम' ने पहुंचाई ठेस

साल 2015 में सेंसर बोर्ड ने 'अनफ्रीडम' नाम की फिल्म को भी सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। इसके डायरेक्टर राज अमित कुमार हैं। यह फिल्म समलैंगिक विषय पर आधारित है। खबरों की मानें तो इसमें धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ बहुत सारे सीन्स हैं। इस वजह से मूवी को बैन कर दिया गया। एक बार फिर धार्मिक भावना का हवाला देकर फिल्म की रिलीज को रोक दिया गया। 

4. शिव के अपमान पर लगी 'मोहल्ला अस्सी' पर रोक

साल 2016 में एक फिल्म बनी 'मोहल्ला अस्सी..'।  चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा निर्देशित इस मूवी को भी सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया गया, क्योंकि इसमें एक सीन में भगवान शिव की गलत छवि पेश की गई थी। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का हवाला देते हुए इस फिल्म की रिलीज पर भी रोक लग गई। इस तरह से कई फिल्मों पर रोक लगी। किसी ने इसे पहलाज निहलानी का गलत रवैया बताया तो किसी ने उन पर अपना ही नियम-कानून चलाने का आरोप लगाया। 

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