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टॉफी बेचने वाले महमूद ने अमिताभ बच्चन को बतौर सोलो हीरो किया था पेश, जानें अन्य बड़ी बातें

महमूद को अपने पिता की सिफारिश से 1943 में बॉम्बे टॉकीज की फिल्म 'किस्मत' में मौका मिला. इनके पिता मुमताज अली तब बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम करते थे.

Updated on: 29 Sep 2018, 01:40 PM

नई दिल्ली:

कॉमेडियन, फिल्मस्टार, निर्देशक और एक बेहतरीन इंसान महमूद का जन्म सितंबर 1933 को मुंबई में हुआ. महमूद बचपन के दिनों में मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनो में टॉफियां बेचा करते थे जिससे कि उनका घर चल सके। महमूद को अपने पिता की सिफारिश से 1943 में बॉम्बे टॉकीज की फिल्म 'किस्मत' में मौका मिला. बता दें कि इनके पिता मुमताज अली तब बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम करते थे.

इस दौरान महमूद ने निर्माता ज्ञान मुखर्जी के यहां बतौर ड्राइवर काम शुरू कर दिया। महमूद ने गीतकार गोपाल सिंह नेपाली, भरत व्यास, राजा मेंहदी अली खान और निर्माता पीएल संतोषी के घर पर भी ड्राइवर का काम किया था. महमूद को इसी बहाने मालिक के साथ स्टूडियो जाने का मौका मिल जाता था, जहां वे कलाकारों को करीब से देख पाते थे. महमूद को बतौर जूनियर आर्टिस्ट 'दो बीघा जमीन' और 'प्यासा' जैसी बेहतरीन फिल्मों में भी काम करने का मौक़ा मिला. हालांकि इस फिल्म से उन्हें कोई ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ।

बताया जाता है कि महमूद के बारे में एबीएम बैनर की राय यह थी कि वह ना कभी अभिनय कर सकते हैं और ना ही अभिनेता बन सकते हैं. हालांकि बाद में इसी बैनर के तले महमूद ने फिल्म 'मैं सुंदर हूं' भी बनाई.

अभिनय जगत में महमूद के किस्मत का सितारा फिल्म 'नादान' की शूटिंग के दौरान चमका। हुआ यूं कि अभिनेत्री मधुबाला के सामने एक जूनियर कलाकार लगातार दस रीटेक के बाद भी अपना संवाद नहीं बोल पा रहा था. बाद में फिल्म निर्देशक हीरा सिंह ने महमूद को डायलॉग बोलने के लिए दिया और वह सीन बिना रिटेक के ही एक बार में ओके हो गया.

आगे चलकर बतौर एक्टर महमूद ने अपने ही डायरेक्शन में बनी फिल्म 'भूत बंगला' में काम किया और यहीं से इनकी क़िस्मत का पिटारा खुला. यह फिल्म इतना कामयाब हुआ कि महमूद को मशहूर कॉमेडियन जॉनी वॉकर का वारिस कहा जाने लगा. बतौर कॉमेडियन पड़ोसन महमूद की सबसे बेहतरीन फिल्म मानी जाती है। वहीं फिल्म कुंवारा बाप में महमूद ने एक सशक्त किरदार निभाया जो कॉमेडी-कॉमेडी में काफी गंभीर मैसेज दे गया। 'लव इन टोक्यो', 'आंखें' और 'बॉम्बे टु गोवा' जैसी फिल्मों में महमूद की गाड़ी दौड़ा दी.

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के करियर को आगे बढ़ाने में भी महमूद का बेहद ख़ास रोल है. महमूद ने अमिताभ बच्चन को बतौर सोलो हीरो सबसे पहले अपने डायरेक्शन में बनी फिल्म 'बॉम्बे टु गोवा' में पेश किया. अमिताभ इससे पहले 'सात हिंदुस्तानी' और 'परवाना जैसी' फिल्मों में काम कर चुके थे लेकिन अब तक उनके काम को वैसी पहचान नहीं मिली थी।

बताया जाता है कि महमूद के भाई अनवर अमिताभ के दोस्त थे. मुफलिसी के दौर में अमिताभ अनवर के साथ उनके फ्लैट में महीनों रहे.

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सत्तर के दशक ख़त्म होते- होते महमूद का करियर ढलान पर आ गया. आखिरी बरसों में महमूद को दिल की बीमारी हो गई थी. इस बीमारी के इलाज के लिए वह अमेरिका गए, जहां 23 जुलाई 2004 को उनका देहांत हो गया.