नीरज जो कहते थे -'न जन्म कुछ, न मृत्यु कुछ बस इतनी सिर्फ बात है, किसी की आंख खुल गई, किसी को नींद आ गई'
गोपालदास नीरज का 93 साल की उम्र में निधन हो गया। वही गोपाल दास नीरज जो कहते थे कि 'मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य'।
नई दिल्ली:
न जन्म कुछ, न मृत्यु कुछ बस इतनी सिर्फ बात है, किसी की आंख खुल गई और किसी को नींद आ गई। यह खूबसूरत पंक्ति लिखनेवाला कवि आज खुद सो गया।
दुनिया को खूबसूरत शब्द देने वाले इस शख्स ने गुरुवार शाम शब्दों को तन्हा और हमारी आंखों को नम कर इस दुनिया से विदा ले लिया।
गोपालदास नीरज का 93 साल की उम्र में दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वही गोपाल दास नीरज जो कहते थे कि 'मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य'। वही गोपाल दास नीरज जिन्हें कवि सम्मेलनों की शान माना जाता था। वही गोपाल दास नीरज जिन्होंने अपनी मर्मस्पर्शी काव्यानुभूति तथा सरल भाषा द्वारा हिन्दी कविता को एक नया मोड़ दिया है और बच्चन जी के बाद नयी पीढी को सर्वाधिक प्रभावित किया है।
वह शख्स जिसकी दोस्ती अक्षरों से थी। जो आत्मा के सौंदर्य के शब्द रूप को ही कविता मानता था। वह शख्स इस दुनिया को कितना कुछ देकर चला गया।
जिस कवि और गीतकार ने दुनिया को इतना दिया हो उसकी कोई भला क्या परिभाषा देगा। किसी को उनमें हिन्दी का अश्वघोष बनने की क्षमता दिखी तो किसी ने उन्हें हिन्दी की वीणा कहकर पुकारा तो किसी ने 'सन्त-कवि' की उपाधी दे दी।
प्रशंसक थे तो उनके कुछ आलोचक भी रहे जो उन्हे 'निराश-मृत्युवादी' मानते हैं। लेकिन इस गीतकार ने ऐसी-ऐसी रचनाओं को जन्म दिया जो आजतक कई गीतकारों के कण्ठ की अनुगूंज बनी हुई है।
उनकी लेखनी में कभी जीवन है तो कभी मृत्यु, कभी जय है तो कभी पराजय, कभी सुख है तो कभी दुख, कभी अंधकार तो कभी उसके बाद का प्रकाश देखने को मिलता रहा। नीरज की कलम जिंदगी के द्वंदात्मकता को सबसे बेहतरीन तरीके से व्यक्त करती थी।
नीरज की युवाअवस्था को जानना हो तो उनकी किताब 'प्राणगीत' और 'दर्द' पढ़ लीजिएगा। नीरज के पसंददीदा कवि टैगोर थे। उनमें भी टैगोर की तरह ही जीवन भर कवि बने रहने के गुण थे।
उनके गीतों में ऐसा माधुर्य कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो कर सुनते रहें और इतने गहरे भावार्थ जो युगों तक आपके स्मरण में अपनी जगह बनाए रखता है।
उन्होंने 'कहता है जोकर सारा जमाना' लिखे जो खत तुझे वो तेरी याद में' फुलों के रंग से, दिल की कलम से' ए भाई जरा देख के चलो' 'ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली' जैसे कई सदाबहार गीत दिए जो जहन में हमेशा जिंदा रहेंगे।
नीरज की प्रमुख रचनाओं में 'दर्द दिया', 'प्राण गीत', 'आसावरी', 'बादर बरस गयो', 'दो गीत', 'नदी किनारे', 'नीरज की गीतिकाएं', संघर्ष, विभावरी, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तक, गीत भी अगीत भी इत्यादि आते हैं।
नीरज को तीन बार फिल्म फेयर अवार्ड मिल चुका है। उन्हें उत्तर प्रदेश की सरकार ने यश भारती पुरुस्कार से भी नवाजा था। इन्हें 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्म भूषण अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।
उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि, 'इस जन्म में जो लिख सका लिख ली, अब अगले जन्म में लिखूंगा।'
देश को उस कवि की कमी हमेशा खलेगी जो जब तक सांस लेता रहा उसके कलम की स्याही खत्म नहीं हुई।
और पढ़ें: मशहूर गीतकार और महाकवि गोपालदास 'नीरज' का निधन, AIIMS में ली अंतिम सांस
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