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हार का जख्म भरा भी नहीं कि अपनों ने दिया RLSP चीफ उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा झटका

RLSP के दो विधायक जनता दल (यू.) में शामिल, विधानसभा स्पीकर ने जेडीयू खेमे में बैठने की स्वीकृति दी

Updated on: 26 May 2019, 05:50 PM

highlights

  • RLSP के दो विधायक JDU में शामिल
  • लोकसभा चुनाव के बाद उपेंद्र कुशवाहा को लगा दोहरा झटका
  • स्पीकर ने जेडीयू खेमे में बैठने की दी स्वीकृति 

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में करारी मात खाने के बाद रविवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा झटका लगा है. बिहार में इस बार एनडीए ने गठबंधन का सूपड़ा साफ कर दिया है. आरजेडी की जमानत जब्त हो गई. वहीं उपेंद्र कुशवाहा दो सीटों पर चुनाव लड़ा था. एक भी जगह से चुनाव नहीं जीत सके. मोदी लहर में सभी विपक्षी दल बह गए. हार का जख्म अभी भरा भी नहीं कि पार्टी के दो विधायक ने जबर्दस्त झटका दे दिया है. रालोसपा के दो विधायक जनता दल यूनाईटेड (जेडीयू) में शामिल हो गए. ये विधायक हैं ललन पासवान और सुधांशु शेखर. बिहार विधानसभा में रालोसपा के दो ही विधायक थे. अब वो भी सत्तारूढ़ जेडीयू में शामिल हो गए.

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बिहार विधानसभा के स्पीकर ने दोनों विधायकों को जेडीयू में शामिल होने की इजाजत दे दी है. स्पीकर ने दोनों विधायकों को जेडीयू के साथ बैठने की स्वीकृति भी दे दी. बता दें कि बिहार विधानसभा में अभी आरजेडी के 80, जेडीयू के 71, रालोसपा के 2 विधायक थे, लेकिन वो अब जेडीयू में शामिल हो गए हैं), कांग्रेस के 27, लोजपा के 2, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (1) और अन्य के खाते में 7 विधायक हैं. जेडीयू के खाते में अब दो विधायक के आने से इसकी संख्या अब 73 हो गई है.

बता दें कि बिहार में रालोसपा, एनडीए की हिस्सा थी. लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर दोनों के बीच जबर्दस्त मनभेद हो गया. उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए से नाता तोड़ कर गठबंधन में शामिल हो गया. कुशवाहा ने एक नहीं बल्कि दो सीटों पर चुनाव लड़ा था. दोनों सीटों पर जमानत जब्त हो गई. वहीं बताया जाता है कि बिहार में रालोसपा का अब कोई अस्तित्व नहीं रहा. अब इस पार्टी के पास न कोई सांसद रहा और नहीं कोई विधायक.

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राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 2014 में बीजेपी के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और अपनी तीनों सीट पर विजय पाई थी. उपेंद्र कुशवाहा केंद्र में राज्य मंत्री भी बने थे, लेकिन 2019 के चुनाव से ठीक पहले सीटों की संख्या को लेकर उनकी बात एनडीए से नहीं बनी और वे महागठबंधन का हिस्सा बन गए. महागठबंधन ने उन्हें पांच सीटें दीं लेकिन पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई.