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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: SC ने पटना हाई कोर्ट के नई सीबीआई टीम गठन के फैसले पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि अगर जरूरत महसूस हुई तो वो पटना हाई कोर्ट से लंबित मामले को अपने पास ट्रांसफर कर लेगा।

Updated on: 18 Sep 2018, 04:40 PM

पटना:

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस मामले में जांच के लिए सीबीआई को नई टीम गठित करने के पटना हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि अगर जरूरत महसूस हुई तो वो पटना हाई कोर्ट से लंबित मामले को अपने पास ट्रांसफर कर लेगा औऱ खुद इस मामले की मॉनिटरिंग करेगा. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि सीबीआई के डायरेक्टर की तरफ से गठित की गई टीम में फेरबदल की जरूरत नहीं क्योंकि ऐसा करने से जांच और पीड़ित के हित प्रभावित होंगे.

गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौण सोशन मामले में पटना हाई कोर्ट ने जांच में ढिलाई को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी और आदेश दिया था कि एसआईटी गठित कर केस की नए सिरे से जांच की जाए.

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जांच के बीच में अधिकारी के ट्रांसफर पर कोर्ट ने उठाए सवाल

हाई कोर्ट ने इस मामले में बीच में ही जांच अधिकार के तबादले पर सवाल उठाते हुए कहा जब राज्य सरकार की विश्वसनीयता दांव पर लगी हुई है तो ऐसे में जांच अधिकारी का तबादला कैसे हो गया. कोर्ट ने सीबीआई को इसमें स्थिति साफ करने को कहा है.

कोर्ट ने सीबीआई की अब तक की जांच पर असंतुष्टि जताते हुए कहा मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. ऐसे में एजेंसी को हर तारीख पर जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी.

मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के बेटे से भी पूछताछ कर चुकी है सीबीआई

सीबीआई शेल्टर होम के मुख्य संचालक और इस कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के बेटे को बालिका आश्रय गृह पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया था. जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने करीब 12 घंटों तक राहुल से पूछताछ की.

पूछताछ के बाद सीबीआई बालिका गृह से राहुल को लेकर निकल गई. सीबीआई की टीम बालिका गृह में अपने साथ जेसीबी मशीन लेकर पहुंची थी.इससे पहले भी जेसीबी मशीन से खुदाई की गई थी, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ था. इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि आश्रय गृह में फिर से खुदाई की जा सकती है.

कैसे आया मामला सामने ?

गौरतलब है कि 'सेवा संकल्प एवं विकास समिति' द्वारा संचालित बालिका आश्रय गृह में 34 लड़कियों से दुष्कर्म की बात एक सोशल अडिट में सामने आई थी.

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बिहार समाज कल्याण विभाग ने मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा बिहार के सभी आश्रय गृहों का सर्वेक्षण करवाया था, जिसमें यौन शोषण का मामला उजागह हुआ था. इस सोशल ऑडिट के आधार पर मुजफ्फरपुर महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई.