बिहार में ज्यादा लीची खाने से हुई थी 100 से ज्यादा लोगों की मौत, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
बिहार के मुजफ्फरपुर में बीते सालों में सैकड़ों बच्चों की जान लेने वाली संदिग्ध बीमारी का पता चल गया है। इस संदिग्ध मष्तिष्क बीमारी के कारण साल 2014 तक हर साल 100 लोग मौत के शिकार हुए थे।
नई दिल्ली:
बिहार के मुजफ्फरपुर में बीते सालों में सैकड़ों बच्चों की जान लेने वाली संदिग्ध बीमारी का पता चल गया है। इस संदिग्ध मष्तिष्क बीमारी के कारण साल 2014 तक हर साल 100 लोग मौत के शिकार हुए थे। वैज्ञानिकों के एक समूह ने पाया है कि लीची खाने के कारण ये बच्चे रहस्यमय दिमागी बीमारी की चपेट में आए जिसने उनकी जान ले ली।
लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक नयी अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। नई दिल्ली के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन ने संयुक्त रूप से रहस्यमय बीमारी का अध्ययन किया है। एक शोध के बाद यह पता लगाया कि इस बीमारी का कारण लीची फल है। वैज्ञानिकों ने शोध कर इस बात का पता लगाया कि खाली पेट लीची खाने से लोगों की मौत हुई।
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खाली पेट सुबह लीची खाने से हुई मौत
खबर के अनुसार रिपोर्ट में सामने आया है कि ज्यादातर बच्चों ने शाम का भोजन नहीं किया था और सुबह ज्यादा मात्रा में लीची खाई थी। बच्चों में कुपोषण और पहले से बीमार होने की वजह भी ज्यादा लीची खाने पर इस बीमारी का खतरा बढ़ा देती है।
बिहार का मुजफ्फरपुर देश का सबसे बड़ा लीची उत्पादक क्षेत्र है। हर साल इस क्षेत्र में न्यूरोलॉजिकल बीमारी के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो रही है। बीमारी का पता लगाने के लिए गर्मी, उमस, कुपोषण, मानसून और कीटनाशक आदि पर भी विचार किया गया। वैज्ञानिकों के अनुसार हमारा लक्ष्य इस बीमारी के कारण और खतरें का पता लगाना था।
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लीची खाने से पहले ले संतुलित आहार
शोधकर्ताओं का कहना है कि रात को खाना न खाने के कारण शरीर में हाइपोग्लाइसेमिया या लो ब्लड शुगर की प्रॉब्लम हो जाती है। कुपोषण के शिकार और पहले से ही बीमार बच्चों के ज्यादा लीची खाने पर खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टरों ने क्षेत्र के लोगों को लीची खाने से पहले संतुलित आहार लेने की सलाह दी है।
2014 में मुजफ्फरपुर के दो अस्पतालों में 15 साल से कम के 390 बच्चे मस्तिष्क संबंधी बीमारियों की वजह से भर्ती कराए गए थे, जिनमें से 122 बच्चों की मौत हो गई। इसमें से अधिकतर बच्चों में ब्लड-ग्लूकोज लेवल कम था। इनमें से ज्यादातर बच्चों ने लीची खाई थी और रात में खाना नहीं खाया था।
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