logo-image

चमकी बुखार से ऐसे बचाएं अपने लाडलों को, बची रहेगी बच्‍चों के चेहरों की चमक

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार मासूमों के चेहरों की चमक छीन रहा है. यह चमकी बुखार मासूमों को मौत के मुंह में ढकेल रहा है.

Updated on: 25 Jun 2019, 03:57 PM

नई दिल्‍ली:

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार मासूमों के चेहरों की चमक छीन रहा है. यह चमकी बुखार मासूमों को मौत के मुंह में ढकेल रहा है. चमकी बुखार यानी अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के चलते अब तक करीब 150 बच्चों की मौत हो चुकी है. आइए जानें क्‍या है चमकी बुखार और इससे कैसे बचें...

लक्षण

  • शुरुआत तेज बुखार से होती है
  • फिर शरीर में ऐंठन महसूस होती है
  • इसके बाद शरीर के तंत्रिका संबंधी कार्यों में रुकावट आने लगती है
  • मानसिक भटकाव महसूस होता है
  • बच्चा बेहोश हो जाता है

यह भी पढ़ेंः बिहार : बच्चों की मौत के बाद जागी सरकार, कुपोषण के खिलाफ चलेगा अभियान

  • शरीर में चमकी होना
  • दौरे पड़ने लगते हैं
  • घबराहट महसूस होती है
  • हाथ पैर में कंपन होना, पूरे शरीर या किसी अंग में लकवा मार जाना जैसे लक्षण शामिल हैं
  • कुछ केस में तो पीड़ित व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है
  • अगर समय पर इलाज न मिले तो पीड़ित की मौत हो जाती है. आमतौर पर यह बीमारी जून से अक्टूबर के बीच देखने को मिलती है.
  • छोटे बच्चों में दिखने वाले लक्षण में सिर में उभरी हुई चित्ती· शरीर में जकड़न नज़र आना· दूध कम पीना· चिड़चिड़ापन और बात-बात पर रोना

ऐसे करें बचा

  • गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें
  • मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें
  • बारिश के मौसम में बच्चों को बेहतर खान-पान दें
  • मच्छरदानी या कीटनाशक दवा का उपयोग करें
  • बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं ताकि उनकी स्कीन ढकी रहे
  • इन सब के अलावा इन्सेफेलाइटिस से बचने के लिए टीकाकरण भी मौजूद है.

इलाज कैसे होता है

दिमागी बुखार जिस भी वजह से हो, उसके लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं. इलाज के दौरान डॉक्टर यह पता करने की कोशिश करते हैं कि बीमारी वायरल इंफेक्शन से तो नहीं हुई है क्योंकि वायरल इंफेक्शन का इलाज मौजूद नहीं है. इसलिए डॉक्टर लक्षणों का इलाज करते हैं. बुखार और दिमाग में सूजन से पैदा होने वाले दबाव को कम करने की कोशिश की जाती है. इस बीमारी के मरीज़ों को ऑक्सिजन की बहुत जरूरत होती है.

इंसेफेलाइटिस की वजह

  • भारी संख्या में बच्चों की मौत के पीछे की वजहों को लेकर चिकित्सक एकमत नहीं हैं.
  • कुछ चिकित्सकों का मानना है कि इस साल बिहार में फिलहाल बारिश नहीं हुई है, जिससे बच्चों के बीमार होने की संख्या लगातार बढ़ रही है.
  • भारी संख्या में बच्चों के बीमार होने के पीछे लीची कनेक्शन को भी देखा जा रहा है.
  • असली वजह है हाइपोग्लाइसीमिया यानी लो-ब्लड शुगर

यह भी पढ़ेंः जानें बिहार में बच्चों को कौन बना रहा है शिकार, लगातार हो रही मौतों के पीछे ये है सच

  • अक्यूट इंसेफेलाइटिस को बीमारी नहीं बल्कि सिंड्रोम यानी परिलक्षण कहा जा रहा है, क्योंकि यह वायरस, बैक्टीरिया और कई दूसरे कारणों से हो सकता है.
  • स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, अब तक हुई मौतों में से 80 फीसदी मौतों में हाइपोग्लाइसीमिया का शक है.
  • शाम का खाना न खाने से रात को हाइपोग्लाइसीमिया या लो-ब्लड शुगर की समस्या हो जाती है.
  • खासकर उन बच्चों के साथ जिनके लिवर और मसल्स में ग्लाइकोजन-ग्लूकोज की स्टोरेज बहुत कम होती है.
  • इससे फैटी एसिड्स जो शरीर में एनर्जी पैदा करते हैं और ग्लूकोज बनाते हैं, का ऑक्सीकरण हो जाता है.