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उप्र उपचुनाव : घोसी में सपा उम्‍मीदवार का पर्चा रद होने के बाद लड़ाई अब इनके बीच

माजवादी पार्टी (सपा) से चुनाव लड़ रहे सुधाकार सिंह (Sudhakar Singh) का पर्चा रद्द हो जाने से मुकाबला अब बीजेपी (BJP), बीएसपी (BSP) और कांग्रेस के बीच है.

Updated on: 06 Oct 2019, 01:29 PM

घोसी:

UP by-election 2019: उत्तर प्रदेश की घोसी सीट (Ghosi) भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद रिक्त हुई है, इस कारण यहां उपचुनाव होने जा रहा है. यह BJP की प्रतिष्ठा से जुड़ी सीट बन गई है. समाजवादी पार्टी (सपा) से चुनाव लड़ रहे सुधाकार सिंह (Sudhakar Singh) का पर्चा रद्द हो जाने से मुकाबला अब बीजेपी (BJP), बीएसपी (BSP) और कांग्रेस के बीच है.

हालांकि सपा की ओर लड़ रहे सुधाकर सिंह अब पार्टी के निर्दलीय उम्मीदवार हैं. उन्हें पार्टी का पूरा समर्थन भी है, इसलिए सपा को भी मुकाबले में माना जा सकता है. विपक्षी दल इस बार चुनाव जीतकर खोया जनाधार वापस करने फिराक में हैं, तो BJP को अपनी प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती है.

भारतीय जनता पार्टी ने यहां से सब्जी विक्रेता के बेटे पूर्व सभासद विजय राजभर पर दांव खेला है. विजय राजभर मूल रूप से मऊ शहर के सहादतपुरा मोहल्ले के निवासी हैं. इनके पिता नंदलाल राजभर आजमगढ़ मोड़ स्थित ओवर ब्रिज के नीचे सब्जी की दुकान लगाते हैं. ऐसे में इनकी समान्य कार्यकर्ता के कारण विधानसभा में पूछ बढ़ी है.

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सुधाकर सिंह इसके पूर्व दो बार विधायक रह चुके हैं. सुधाकर सिंह नत्थूपुर विधानसभा क्षेत्र से 1997 में सपा से विधायक चुने गए थे. साल 2012 में घोसी विधानसभा क्षेत्र से सपा से चुनाव जीत चुके हैं. इस बार भी मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में है. सपा की तरफ से उनका पर्चा रद्द हो गया है.

बीएसपी (BSP) ने इस बार मुस्लिम दलित का कार्ड खेलते हुए अब्दुल कय्यूम को अपना प्रत्याशी बनाया है. इनकी पत्नी साकिया खातून यहां से चेयरमैन हैं. कय्यूम यहां से समाजसेवा के लिए जाने जाते हैं. वह निजी एंबुलेंस, मुफ्त पानी जैसे अनेक काम करके जनता के बीच अपनी उपास्थिति दर्ज कराते रहे हैं. कांग्रेस ने यहां पर पिछड़ा कार्ड खेलते हुए राजमंगल यादव को प्रत्याशी बनाया है.

मऊ के राजनीतिक जानकर संजय मिश्रा ने बताया कि फागू चौहान के बिहार का राज्यपाल बनने से यह सीट BJP के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई है. उधर, सपा का सिंबल न मिलने से मतदताओं में 'कनफ्यूजन' जैसे हालात रहने वाले हैं. अभी तक यह लड़ाई BJP और बीएसपी (BSP) के बीच दिख रही है.

उन्होंने कहा कि बीएसपी (BSP) ने इस सीट पर दलित और मुस्लिम कार्ड खेलकर अपना प्रत्याशी उतारा है. लेकिन मुस्लिम वोट भी बांटेगा, क्योंकि यहां से मुख्तार अंसारी के बेटे भी टिकट चाह रहे थे. उन्हें नहीं मिला है. उनका भी बर्चस्व यहां पर है. चौहान और राजभर की संख्या यहां पर बहुतायत है. यह भी प्रत्याशी को हराने-जिताने में भूमिका अदा करते हैं. वर्तमान में ये लोग BJP के पक्ष में ही जाते दिख रहे हैं. सपा के प्रत्याशी पुराने हैं और जमीन पर उनकी पकड़ भी है, लेकिन सिंबल न मिलना उनका बड़ा नुकसान कर रहा है.

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मिश्रा ने बताया कि बीएसपी (BSP) , BJP और कांग्रेस के प्रत्याशी नए हैं. कांग्रेस का चूंकि यहां पर कोई वोट बैंक नहीं है, इसलिए यहां पर सीधी लड़ाई बीएसपी (BSP) और BJP के बीच है.उन्होंने बताया कि घोसी विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 423952 है, जिसमें पुरुष मतदाता की संख्या 228854 और महिला मतदाता की संख्या 195094 हैं.

वर्ष 2017 में हुए चुनाव में मतदाताओं ने BJP प्रत्याशी फागू चौहान ने बीएसपी (BSP) के अब्बास अंसारी को 7003 मतों से हराया था. वह मंत्री तो न बने पर बिहार का राज्यपाल बनने का गौरव प्राप्त हुआ. अब देखना यह कि इस उपचुनाव में मतदाता क्या निर्णय लेते हैं. अलबत्ता इस जीत से BJP की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, पर प्रतिष्ठा अवश्य धूमिल होगी.

घोसी के एक किसान ने बताया, "यहां की गन्ना मिल बदहाल हालत में है. इसके लिए किसानों को आए दिन आंदोलन करना पड़ता है. इतनी सरकारें बनीं, पर किसी ने सुध नहीं ली है. इस बार हम लोग उसी को वोट देंगे, जो हमारी मिल को दुरुस्त करने का वादा करेगा."

घोसी विधानसभा के समाजसेवी कृपाशंकर को यहां के सौर ऊर्जा प्लांट की जर्जर हालत को लेकर दुखी है, लेकिन उन्हें BJP से उम्मीद है. इस कारण उनका कहना है कि BJP यहां पर जीत दर्ज करेगी.

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रहमतुल्ला का कहना है कि लोग जाति, धर्म और मजहब के नाम पर लड़ रहे हैं. लेकिन रोजी रोजगार की बात कोई नहीं करता है. बुनकर बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण बुनकरों के हितों में चुनावी वादा तो जरूर किया जाता है, लेकिन उसे अभी तक कोई करता दिखा नहीं है.

रमेशचंद्र निषाद का कहना है, "BJP ने पिछड़ों के लिए काफी काम किया है. हमारा प्रत्याशी भी गरीब और सामान्य है, हमारी सुनेगा. सपा के विधायक दो बार रह चुके हैं. उनको इस बार सिंबल भी नहीं मिला है. उनकी पार्टी में आपसी कलह है."