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राजस्थान के रण में राजनीति के महारथी अशोक गहलोत, सीएम की रेस में पायलट से आगे 'मारवाड़ के गांधी'

राजस्थान में कांग्रेस को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचाने में अशोक गहलोत ने अहम भूमिका निभाई है. अशोक गहलोत राजस्थान की कमान संभाल सकते है.

Updated on: 13 Dec 2018, 06:02 PM

नई दिल्ली:

राज्य के मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस में मंथन जारी है. राजस्थान विधानसभा चुनाव  में बीजेपी का कमल मुरझा कांग्रेस ने बाज़ी मारी. राजस्थान में मुख्यमंत्री की दौड़ में अशोक गहलोत और सचिन पायलट का नाम शामिल है. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत राजस्थान में मुख्यमंत्री की रेस में सचिन पायलट को पछाड़कर आगे निकल गए हैं. सीएम की रेस में शामिल पायलट और गहलोत काफी मज़बूत दावेदार है. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी नए मुख्यमंत्री का नाम तय करेंगे.

अशोक गहलोत राजनीति में बेहद अनुभवी होने के साथ-साथ महारथी है. राजस्थान में कांग्रेस को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचाने में अशोक गहलोत ने अहम भूमिका निभाई है. अशोक गहलोत राजस्थान की कमान संभाल सकते है, ऐसी अटकलें लगाई जा रही है. अशोक गहलोत को 'मारवाड़ का गांधी' के अलावा 'राजनीति के जादूगर' के नाम से भी जाना जाता है. जानकारों का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अशोक गहलोत को राजनीति में लाई थी.

पूर्वोत्तर क्षेत्र में शरणाथियों के बीच गहलोत के अच्छे काम से इंदिरा गांधी काफी प्रभावित थीं. राजस्थान की पहले भी कमान संभाल चुके पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को साल 2013 राजस्थान विधानसभा चुनाव और 2014 लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त मिली थी. इसके बावजूद गहलोत ने राज्य में अपनी पार्टी का प्रासंगिक बनाये रखा. पिछले साल दिसंबर में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दमदार प्रदर्शन का श्रेय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता को दिया जाता है.

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राजनीति में बेहद सक्रिय और जड़ों से जुड़े अशोक गहलोत को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है. जोधपुर के रहने वाले गहलोत  1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. गहलोत 1999 से जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.  गहलोत 11वीं, 12वीं,13वीं और 14वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. 

वह 1982-1983 तक पर्यटन उप-मंत्री और 1983-84 में नागरिक उड्रडयन, 1984 में खेल उप-मंत्री, 1984-85 में पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री, 1991-93 तक वस्त्र राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पदभार संभाल चुके हैं. गहलोत 2004-2009 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव, 2004 में कांग्रेस कार्य समिति और हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रभारी रह चुके हैं. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कई अहम पदों पर रह चुके गहलोत तीन बार कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं. 'पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ' का नारा अशोक गहलोत ने दिया.

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गहलोत राजनीति के अलावा सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए सबसे आगे रहे हैं. 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पश्चिम बंगाल में बंगलादेशी शरणार्थियों के शिविरों में काम किया.