अनुच्छेद 370 का खात्मा, तीन तलाक कानून के बाद पहली बार हो रहे चुनाव, क्या गेमचेंजर साबित होंगे?
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खात्मा हो गया, तीन तलाक के खिलाफ कानून और राहुल गांधी का कांग्रेस पद से इस्तीफा देना, ये मुद्दे चुनाव को प्रभावित जरूर करेंगे.
नई दिल्ली:
मई में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद एक बार फिर चुनावी मौसम शुरू हो गया है. चुनाव आयोग ने हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 21 अक्टूबर को दोनों ही राज्यों में एक साथ चुनाव होंगे और 24 अक्टूबर को एक साथ मतगणना का काम भी एक साथ ही होगा. इन दोनों राज्यों के अलावा, 18 राज्यों की 64 सीटों पर उपचुनाव भी 21 अक्टूबर को ही कराए जाएंगे. बीजेपी लोकसभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत को भुनाने की कोशिश करेगी. बीते चार महीने में भारतीय राजनीति काफी कुछ बदल गई है, जिसका असर इन चुनावों में पड़ सकता है. मसलन, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खात्मा हो गया, तीन तलाक के खिलाफ कानून और राहुल गांधी का कांग्रेस पद से इस्तीफा देना, ये मुद्दे चुनाव को प्रभावित जरूर करेंगे.
मोदी सरकार 2.0 के बाद पहला चुनाव
मई में खत्म हुए लोकसभा चुनावों के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. लोकसभा चुनाव के 4 माह बाद हो रहे इस चुनाव को बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी की सफलता का लिटमस टेस्ट भी साबित हो सकता है. लोकसभा चुनाव में इन दोनों राज्यामें बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई थी.
अनुच्छेद 370 का खात्मा
मोदी सरकार ने शपथ लेने के 100 दिनों के भीतर ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने का फैसला ले लिया था. इस फैसले को मोदी सरकार का ट्रंप कार्ड माना गया. आने वाले चुनावों में यह मुद्दा बीजेपी के लिए बढ़त लेने वाला हो सकता है. वहीं इसका विरोध करने का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है.
तीन तलाक कानून
भारतीय जनता पार्टी कई सालों से मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए तीन तलाक बिल की वकालत कर रही थी, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के चलते बिल में बार-बार अड़ंगा लग रहा था. सरकार बनने के बाद पहले ही सत्र में इस बार दोनों सदनों से बिल को हरी झंडी मिल गई. अब बीजेपी चुनाव में इस मुद्दे को भुना सकती है.
राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पहला चुनाव
लोकसभा चुनाव के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था. काफी मान-मनौव्वल के बाद भी उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया. इससे एक बार फिर सोनिया गांधी के हाथ में पार्टी की कमान चली गई है. लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने जिन मुद्दों को हवा दी थी, वो सब फुस्स हो गई थीं. अब कांग्रेस को उम्मीद है कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में अब कुछ जादू हो जाए.
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