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भाजपा के साथ गठबंधन नहीं तोड़ना चाहते, लेकिन दोनों दलों के बीच बनी सहमति लागू हो :उद्धव

एक घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में विधायकों ने पदों और जिम्मेदारियों के बराबर बंटवारे का फॉर्मूला दोहराया जिस पर लोकसभा चुनाव से पहले सहमति बनी थी.

Updated on: 07 Nov 2019, 07:30 PM

नई दिल्ली:

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह भाजपा के साथ गठबंधन खत्म नहीं करना चाहते लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के बीच बनी सहमतियों को लागू कराना चाहते हैं. ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ पर आज हुई बैठक में महाराष्ट्र में सरकार गठन पर अंतिम निर्णय लेने के लिए शिवसेना विधायकों ने उन्हें अधिकृत किया. उसके बाद पार्टी के सभी विधायकों को बांद्रा के एक होटल में भेज दिया गया. शिवसेना का यह कदम संकेत देता है कि उसे भाजपा के साथ चल रहे गतिरोध के बीच अपने विधायकों को तोड़े जाने की कोशिशों की आशंका है. शिवसेना विधायक सुनील प्रभु ने बैठक के बाद कहा, ‘‘सभी विधायकों के लिए मौजूदा हालात में एक होना जरूरी है. उद्धवजी जो फैसला लेंगे, हम सभी के लिए बाध्यकारी होगा.’’

एक घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में विधायकों ने पदों और जिम्मेदारियों के बराबर बंटवारे का फॉर्मूला दोहराया जिस पर लोकसभा चुनाव से पहले सहमति बनी थी. शिवसेना अपनी इस मांग पर कायम रही कि दोनों दलों को ढाई-ढाई साल बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद संभालना चाहिए. विधायक शंभुराजे देसाई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘शिवसेना विधायकों ने सरकार गठन के संबंध में अंतिम निर्णय लेने के लिए उद्धवजी को अधिकृत करने का प्रस्ताव पारित किया.’’ पार्टी के एक और विधायक अब्दुल सत्तार ने कहा, ‘‘अगला मुख्यमंत्री शिवसेना से होगा.’’

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एक अन्य विधायक ने नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर कहा कि राज्य में चल रहे घटनाक्रम से ठाकरे आहत हैं. उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें लगता है कि आमने सामने बैठकर मुद्दों को सुलझाया जा सकता था. ऐसा नहीं हुआ. बजाय इसके जो तय हुआ था, उससे इनकार कर दिया गया. उद्धवजी ने कहा कि वह भाजपा के साथ गठबंधन नहीं तोड़ना चाहते. वह केवल यह अपेक्षा करते हैं कि जो तय हुआ, उसे लागू किया जाए.’’

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विधायक ने कहा, ‘‘उन्होंने हमसे इंतजार करने को कहा है.’’ बैठक के बाद शिवसेना विधायकों को बांद्रा के रंगशारदा होटल में भेज दिया गया. शिवसेना का दावा है कि दोनों पार्टियों ने लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में तय किया था कि राज्य में पदों की बराबर साझेदारी होगी. पार्टी के अनुसार भाजपा ने मुख्यमंत्री पद सहयोगी दल के साथ साझा करने की व्यवस्था का पालन नहीं किया है. महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से सरकार गठन को लेकर गतिरोध की स्थिति बनी हुई है.