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शरद पवार ने आखिरकार सोनिया गांधी से बदला ले ही लिया, याद करिए 1991 का वो समय...

राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि शरद पवार ने बहुत करीने से कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से बदला ले लिया है. 1991 में शरद पवार प्रधानमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे थे, लेकिन यह पद नरसिम्‍हाराव को दे दिया गया.

Updated on: 23 Nov 2019, 11:12 AM

नई दिल्‍ली:

महाराष्‍ट्र में देवेंद्र फड़णवीस की सरकार बन गई है और एनसीपी के अजीत पवार डिप्‍टी सीएम बन गए हैं. हालांकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अजीत पवार के फैसले से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि शरद पवार ने बहुत करीने से कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से अपना बदला ले लिया है. जानकारों को याद होगा, जब 1991 में शरद पवार प्रधानमंत्री बनने की रेस में कांग्रेस में सबसे आगे चल रहे थे, लेकिन यह पद पीवी नरसिम्‍हा राव को दे दिया गया. शरद पवार कई बार खुलकर नाराजगी जता चुके हैं कि सोनिया गांधी के वीटो के चलते ही वे तब प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे.

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शरद पवार ने अपनी किताब 'लाइफ ऑन माई टर्म्स - फ्रॉम ग्रासरूट्स एंड कॉरीडोर्स ऑफ पावर' में भी 1991 का जिक्र किया है. किताब में शरद पवार ने लिखा है, 1991 में 10 जनपथ के 'स्वयंभू वफादारों' ने सोनिया गांधी को इस बात के लिए सहमत किया था कि उनकी (पवार) की जगह पीवी नरसिंहराव को प्रधानमंत्री बनाया जाए, क्योंकि 'गांधी परिवार किसी ऐसे व्यक्ति को पीएम नहीं बनाना चाहता था, जो स्वतंत्र विचार रखता हो.

अब जब महाराष्ट्र में सबसे बड़ा उलटफेर हुआ है, तब 1991 का राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र होना लाजिमी है. भले ही शरद पवार ने अजित पवार के फैसले से खुद को अलग किया है, लेकिन महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना को तगड़ा झटका देकर शरद पवार ने सोनिया गांधी से 1991 का हिसाब चुकता कर लिया है.

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बता दें कि महाराष्ट्र (Maharashtra) में शनिवार सुबह देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्‍व में महाराष्‍ट्र में नई सरकार का गठन हो गया है. एनसीपी नेता अजीत पवार डिप्‍टी सीएम बन गए हैं. ऐसा तब हुआ, जब उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने पर कांग्रेस और एनसीपी सहमत हो गए थे. इस बीच अचानक अजीत पवार बीजेपी के साथ आ गए और शनिवार सुबह बीजेपी की सरकार बन गई.