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50-50 फॉर्मूले पर जारी खींचतान के बीच उद्धव ठाकरे से मिल सकते हैं गृह मंत्री अमित शाह

दोनों नेताओं की इस मुलाकात को पार्टियों में सीएम पद को लेकर जारी खींचतान के बीच पहल के रूप में देखा जा रहा है.

Updated on: 28 Oct 2019, 11:30 AM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच 50-50 फॉर्मूले को लेकर जारी जद्दोजहद के बीच अमित शाह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर सकते हैं. दरअसल अमित शाह 30 अक्टूबर को मुंबई पहुंच रहे हैं. बताया जा रहा है कि वह इसी दौरान उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर सकते हैं. दोनों नेताओं की इस मुलाकात को पार्टियों में सीएम पद को लेकर जारी खींचतान के बीच पहल के रूप में देखा जा रहा है.

वहीं दूसरी तरफ आज यानी सोमवार को एम देवेंद्र फडणवीस राज्यपाल भगत सिंह केश्यारी से मुलाकात करेंगे और मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को राज्यपाल के सामने रखेंगे. इसके अलावा राज्यपाल भगत सिंह केश्यारी सोमवार को शिवसेना के विधायक और राज्य में परिवहन मंत्री दिवाकर रावते से भी अलग से मुलाकात करेंगे. वहीं दूसरी तरफ बताया ये भी जा रहा है कि विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद फडणवीस रकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं.

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फिलहास शिवसेना 50:50 के फॉर्मूले पर अड़ी हुई है और इसको लेकर बीजेपी से लिखित में आश्वासन चाहती है. 50:50 फॉर्मूले के तहत शिवसेना शुरुआत के ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री चाहती है. बताया जा रहा है कि आज होने वाली बैठक में रावते राज्यपाल के सामने शिवसेना की भूमिका रखेंगे और साथ ही उद्धव ठाकरे के साथ विधायकों की हुई बैठक में लिए गए फैसलों से राज्यपाल को अवगत कराएंगे.

बता दें, इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन कर क्रमश: 164 और 124 सीटों पर चुनाव लड़ा था. घोषित परिणाम के अनुसार, भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं. साल 2014 के विधानसभा चुनाव की तुलना में भाजपा को इस बार 17 सीटें कम मिली हैं, जबकि शिवसेना को सात सीटों का नुकसान हुआ है. राज्य में बहुमत का आंकड़ा 145 है, ऐसे में शिवसेना से मदद लिए बिना भाजपा के लिए सरकार बनाना मुश्किल है.

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बीजेपी की कम सीटें आने के बाद उसकी शिवसेना पर निर्भरता को देखते हुए शिवसेना आक्रामक होकर मोल-भाव पर उतर आई है. उसका कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान 50-50 का फॉर्मूला तय हुआ था, ऐसे में ढाई साल भाजपा का और ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री बनना चाहिए. भाजपा इस फॉर्मूले पर सहमत नहीं है. यही वजह है कि भाजपा राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करने में देरी कर रही है. भाजपा के सूत्र बताते हैं कि विधानमंडल दल की बैठक इसलिए 30 अक्टूबर को रखी गई है, ताकि इस बीच शिवसेना से बातचीत कर फॉर्मूले पर फंसे पेच को सुलझाने का वक्त मिल जाए.