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महाराष्ट्र: शिवसेना की मांगों पर इस बीजेपी नेता ने दिया जवाब, कह दी ये बड़ी बात

विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र का जनादेश भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार के पक्ष में है. प्रतिद्वंदी कांग्रेस और राकांपा गठबंधन का सीटों के मामले में भाजपा-शिवसेना गठबंधन से कोई मुकाबला नहीं है.

Updated on: 28 Oct 2019, 08:07 PM

नई दिल्‍ली:

महाराष्ट्र के चुनाव नतीजे आने के पांच दिन बाद भी शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर जारी खींचतान के बीच भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने अहम बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि शिवसेना की सभी मांगें पार्टी के संज्ञान में हैं, पार्टी इस पर उचित जवाब देगी. जीवीएल नरसिम्हा राव ने शिवसेना की ओर से 50-50 फॉर्मूले और मुख्यमंत्री आदि पद को लेकर रखी गई शर्तों के बारे में मीडिया से कहा, "शिवसेना की जो भी मांगें आधिकारिक स्तर से रखी गईं हैं, वो पार्टी के संज्ञान में हैं. संबंधित मांगों पर भाजपा सही समय पर जो उचित कदम होगा, उठाएगी."

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र का जनादेश भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार के पक्ष में है. प्रतिद्वंदी कांग्रेस और राकांपा गठबंधन का सीटों के मामले में भाजपा-शिवसेना गठबंधन से कोई मुकाबला नहीं है. उन्होंने दावा किया कि जल्द ही महाराष्ट्र की जनता को भाजपा नेतृत्व की सरकार मिलेगी.

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महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को आए नतीजों में भाजपा को 105, शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को 54 सीटें मिली हैं. 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के 145 के आंकड़े से ज्यादा 161 सीटें हासिल करने के बाद भी सरकार में पदों के बंटवारे को लेकर खींचतान के कारण अब तक भाजपा-शिवसेना की सरकार नहीं बन पाई है. 24 अक्टूबर को ही हरियाणा के भी नतीजे घोषित हुए थे और वहां रविवार (27 अक्टूबर) को ही जेजेपी के साथ गठबंधन कर भाजपा नेतृत्व की सरकार बन चुकी है.

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सोमवार को भाजपा और शिवसेना के नेताओं के अलग-अलग जाकर राज्यपाल से मिलने से भी संकेत मिले कि दोनों दलों में अब तक बात नहीं बन पाई है. भाजपा ने 30 अक्टूबर को विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें मुख्यमंत्री पद के लिए फिर से देवेंद्र फडणवीस के नाम को हरी झंडी मिलनी है. पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि 30 अक्टूबर को ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे से भेंट भी कर सकते हैं. इस दौरान सरकार में अहम पदों और विभागों के बंटवारे को लेकर उलझे पेंच को वे सुलझा सकते हैं जिसके बाद दोनों दलों के नेता राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं.