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झारखंड में क्यों हारी भाजपा, पार्टी सांसद ने गिनाए चौंकाने वाले कारण

झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election) में भाजपा (BJP) की हार के बाद पार्टी के कई नेता निराश हैं. वे पार्टी को अभी से 2024 के चुनाव की तैयारी में जुटने की भी नसीहत दे रहे हैं.

Updated on: 26 Dec 2019, 08:09 AM

नई दिल्‍ली:

झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election) में भाजपा (BJP) की हार के बाद पार्टी के कई नेता निराश हैं. वे पार्टी को अभी से 2024 के चुनाव की तैयारी में जुटने की भी नसीहत दे रहे हैं. राज्य की गोड्डा सीट से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने चौंकाने वाला बयान दिया है. निशिकांत दुबे ने साफ शब्दों में कहा है कि अपनों से ज्यादा बाहरियों पर भरोसा करने से पार्टी चुनाव हारी है. उन्होंने पार्टी हाईकमान को ईमानदार बताते हुए उम्मीद जाहिर की है कि आगे सब अच्छा होगा. पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब रघुवर दास (Raghuvar Das) के रवैये, टिकट वितरण में खेल और संगठनात्मक चूकों को लेकर पार्टी के कई नेता शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट भेज रहे हैं. निशिकांत दुबे ने भी अपनी रपट पार्टी नेतृत्व को भेजी है. उन्होंने रिपोर्ट में क्या लिखा है, वह सामने नहीं आया है, लेकिन फेसबुक पोस्ट में उन्होंने जो कुछ लिखा है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है.

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दुबे ने सोशल मीडिया पर उन छह खास सीटों का हवाला दिया है, जहां भाजपा को किसी और से नहीं, बल्कि अपने ही बागियों से हार का सामना करना पड़ा है. फेसबुक पोस्ट में दुबे ने लिखा है, "जो झारखंड का चुनाव विश्लेषण कर रहे हैं, मुझे लगता है कि वे सभी जल्दबाजी कर रहे हैं. भाजपा के बागियों के कारण या कार्यकर्ताओं के आकलन के कारण हम हारे हैं. दूसरी पार्टी से आए लोगों पर हमने ज्यादा भरोसा किया. चतरा से सत्यानन्द भोक्ता, लातेहार से बैद्यनाथ राम, बहरागोडा से समीर मोंहती, बरही से उमाशंकर अकेला, बरकट्टा से अमित यादव व जमशेदपुर पूर्वी से सरयू राय आदि की जीत इसका उदाहरण है."

गौरतलब है कि बरकट्ठा सीट पर भाजपा के बागी अमित यादव ने 24 हजार से ज्यादा वोटों से भाजपा प्रत्याशी जानकी यादव को हराया. जानकी यादव झाविमो से भाजपा में आए थे. इस सीट से जब अमित यादव को टिकट नहीं मिला तो वह निर्दल मैदान में उतर गए.

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इसी तरह बहरागोड़ा सीट पर भाजपा के बागी समीर मोहंती ने 60,565 वोटों से जीतकर टिकट न देने के फैसले को गलत साबित कर दिखाया. भाजपा ने समीर मोहंती को नजरअंदाज कर दूसरे दल से आए कुनाल सदांगी पर भरोसा जताया था. पार्टी ने मौजूदा 13 विधायकों का टिकट काटकर दूसरे दलों से आए दो दर्जन से अधिक लोगों पर इस बार भरोसा जताया था, मगर इसमें अधिकांश उम्मीदवार हार गए.

दुबे ने चुनाव से पहले आजसू से गठबंधन टूट जाने पर भी हैरानी जाहिर की है. उन्होंने हार से जुड़ी अपनी रिपोर्ट में कहा है, "आजसू किन कारणों से बाहर हुआ यह एक पहेली है. सुदेश महतो जी मेरे अच्छे मित्र हैं और सुलझे इंसान हैं. लड़ाई के कारण उन्होंने अपनी सबसे मजबूत सीट रामगढ़ तक गंवा दी. कुछ इंतजार करिए. पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व हमारा सबसे मजबूत व ईमानदार है. हमारा वोट सुरक्षित है. नई सरकार को शुभकामनाएं. 2024 की लड़ाई के लिए आज से तैयारी शुरू."

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विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से टिकट न मिलने पर पीपुल्स पार्टी का दामन थाम लेने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे प्रवीण प्रभाकर ने आईएएनस से कहा, "कई गलत छवि के और अयोग्य लोगों को टिकट मिलने से ही भाजपा की हार हुई. संगठन की हालत मुझसे देखी नहीं गई, जिसके कारण मैंने शीर्ष नेतृत्व को चुनाव के दौरान ही आगाह कर दिया था, लेकिन कुछ सुधारात्मक पहल न होने पर मैंने पार्टी छोड़ दी. चुनाव के दौरान सर्वे के लिए लगाई गए एजेंसियों की रिपोर्ट को भी टिकट बंटवारे में नजरअंदाज कर दिया गया था."