झारखंड चुनाव नतीजे के बाद NCP चीफ शरद पवार बोले- लोग गैर BJP पार्टी के साथ चलने को तैयार
राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बाद लोगों ने झारखंड से भी बीजेपी को सत्ता से दूर किया
रांची:
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने झारखंड चुनाव के नतीजे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि लोगों ने गैर बीजेपी पार्टी के साथ चलने का मन बना लिया है. अब देश की जनता को बीजेपी के द्वारा किए गए वादे का पता चल गया है. लोगों के सामने बीजेपी की सच्चाई सामने आ रही है. बीते एक साल में बीजेपी के हाथ से 5 राज्यों की कमान चली गई है. राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बाद लोगों ने झारखंड से भी बीजेपी को सत्ता से दूर किया. उन्होंने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि लोग गैर बीजेपी के साथ चलने को तैयार हैं.
NCP Chief Sharad Pawar: The result of #JharkhandAssemblyPolls that has come today clearly states that people are with non-BJP parties. After Rajasthan, Chhattisgarh and Maharashtra, people have decided to keep BJP away from power in Jharkhand also. pic.twitter.com/i3VVuKiDP7
— ANI (@ANI) December 23, 2019
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झारखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम आ गया है. जिसमें जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन की सरकार बनने जा रही है. सूबे की कमान हेमंत सोरेन संभालने जा रहे हैं. वहीं अब तक के रुझानों से यह साफ हो गया है कि झारखंड में बीजेपी के हाथ से सत्ता फिसल गई है. इसके साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का सूबे का मुख्यमंत्री बनने का रास्ता भी साफ हो गया है. हाल-फिलहाल कांग्रेस-झामुमो गठबंधन बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़े से कहीं अधिक सीटों पर आगे चल रहा है. इस खुशी में हेमंत सोरेन को रांची स्थित अपने घर में हंसते-खिलखिलाते साइकिल चलाते हुए देखा गया है.
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फिलहाल झामुमो बीजेपी से ज्यादा सीटें जीतता नजर आ रहा है. हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. वह अपने पिता शिबू सोरेन की तरह राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. 2013 में हेमंत सोरेन आरजेडी, कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों की मदद से झारखंड के 5वें मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे और दिसंबर 2014 तक पद पर रहे. 1975 में जन्मे हेमंत सोरेन कम उम्र में ही अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दे चुके थे. शिबू सोरेन की विरासत को संभालना उनके लिए किसी जोखिम से कम नहीं था, लेकिन हेमंत सोरेन ने समय-समय पर अपनी काबिलियत का परिचय देकर यह साबित कर दिया कि राजनीति के टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर चलने की क्षमता उनमें है.
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