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चुनाव आयोग का बड़ा खुलासा, मुलायम ने दिया बस अपना हलफनामा तो अखिलेश के समर्थन में पड़े 4716 हलफनामे

मुलायम-शिवपाल खेमा और अखिलेश-रामगोपाल खेमे ने 9 जनवरी को चुनाव आयोग के समक्ष पार्टी के चुनाव चिह्न की दावेदारी को लेकर अपना-अपना बहुमत पेश किया था।

Updated on: 17 Jan 2017, 01:09 AM

highlights

  • चुनाव आयोग के फैसले के मुताबिक मुलायम सिंह यादव ने अपनी दावेदारी के पक्ष में कोई भी हलफनामा नहीं दिया
  • पार्टी के नैशनल प्रेसिडेंट से हटाए जाने के बाद मुलायम सिंह ने चुनाव आयोग में पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा ठोंका था

 

New Delhi:

चुनाव आयोग के अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी की कमान दिए जाने के मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है। 1 जनवरी को लखनऊ में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव को हटाकर अखिलेश यादव पार्टी के नैशनल प्रेसिडेंट बने थे। इसके बाद पार्टी दो धड़े में बंट गई थी।

मुलायम-शिवपाल और अखिलेश-रामगोपाल खेमे ने 9 जनवरी को चुनाव आयोग के समक्ष पार्टी के चुनाव चिह्न की दावेदारी को लेकर अपना-अपना बहुमत पेश किया था। लेकिन चुनाव आयोग के फैसले के मुताबिक मुलायम सिंह यादव ने अपनी दावेदारी के पक्ष में केवल अपना हलफनामा दिया। मुयायम सिंह यादव पार्टी में अपने लिए समर्थन जुटाने में पूरी तरह विफल रहे।

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3 जनवरी को चुनाव आयोग को सौंपे गए आवेदन में अखिलेश यादव की तरफ से रामगोपाल यादव ने लखनऊ में 1 जनवरी को पारित प्रस्ताव का ब्यौरा सौंपा था। चुनाव आयोग के फैसले के मुताबिक अखिलेश खेमे की तरफ से सौंपे गए हलफनामे में, 'अखिलेश यादव खेमे ने पार्टी के कुल 228 विधायकों में 205 विधायकों, 68 पार्षदों में से 56 पार्षदों, लोकसभा और राज्यसभा के कुल 24 सांसदों में से 15 सांसदों के लिखित हलफनामा वाला समर्थन पत्र पेश किया।'

फैसले के मुताबिक, 'अखिलेश यादव ने पार्टी के सांसदों, विधायकों, पार्षदों और पदाधिकारियों के समर्थन वाला 4716 हलफनामा दिया था।' इसके साथ ही राज्यसभा में पार्टी के 19 सांसदों में से 11 सांसदों ने अखिलेश यादव खेमे को अपना समर्थन दिया था। आयोग के मुताबिक, '5731 नैशनल कंवेंशन डेलिगेट्स में से 4400 का समर्थन अखिलेश यादव खेमे को मिला।'

रामगोपाल यादव की तरफ से दावेदारी पेश किए जाने के बाद चुनाव आयोग ने 4 जनवरी 2017 को मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर समर्थकों का हलफनामा देने को कहा। आयोग ने मुलायम सिंह यादव को 9 जनवरी तक दावेदारी के पक्ष में समर्थकों का लिखित हलफनामा देने को कहा।

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आयोग ने कहा था, 'आपकी दावेदारी समर्थकों के लिखित हलफनामे के तौर पर होनी चाहिए।' आयोग ने इसके साथ ही रामगोपाल यादव को भी अपने समर्थन में लिखित हलफनाम जमा कराने को कहा।

आयोग के निर्देश के बाद रामगोपाल यादव खेमे ने 6 जनवरी को अपनी दावेदारी लिखित हलफनामे के तौर पर सौंप दी लेकिन 9 जनवरी को चुनाव आयोग को दिए गए अपने जवाब में किसी समर्थक का लिखित हलफनामा नहीं सौंपा। इसके साथ ही मुलायम ने पार्टी के किसी पदाधिकारी का भी समर्थन पत्र नहीं सौंपा। 

12 जनवरी को आयोग को सौंपे गए हलफनामे में मुलायम सिंह यादव ने रामगोपाल यादव के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'पार्टी में मौजूदा विवाद को टूट की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। साथ ही पार्टी से निष्कासित किए गए रामगोपाल यादव की तरफ से दाखिल किए गए जवाब का कोई मतलब नहीं है।'

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद मामले की तात्कालिकता को देखते हुए चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को 13 जनवरी को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया। लेकिन इस दौरान भी मुलायम सिंह यादव ने भी अपने समर्थन में कोई दावा पेश नहीं किया।

9 जनवरी 2017 को मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग को अपने दावे के पक्ष में सिर्फ अपना हलफनामा दिया। जबकि चुनाव आयोग ने उन्हें पार्टी के चुनाव चिह्न की दावेदारी के लिए पार्टी सदस्यों, सांसदों, विधायकों और पार्षदों के समर्थन वाला हलफनामा दायर करने को कहा था।

विधानसभा चुनाव के नजदीक होने की वजह से आयोग ने मामले की तत्काल सुनवाई के लिए 13 जनवरी की तारीख मुकर्रर की। आयोग ने एक बार फिर से दोनों पक्षों को 10 जनवरी को नोटिस भेजकर कोई अन्य दस्तावेज सौंपने का आदेश दिया।

लेकिन इसके बाद भी मुलायम सिंह यादव ने अपने पक्ष में कोई हलफनामा नहीं दिया। अपने सभी जवाब में मुलायम सिंह यादव यह कहते रहे, 'पार्टी में कोई टूट नहीं है।'

मुलायम सिंह यादव खेमे ने अपने बहुमत को लेकर न तो कोई दावा पेश किया और नहीं रामगोपाल यादव की तरफ से पेश किए हलफनामे पर कोई सवाल उठाया। 

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इसके बाद चुनाव आयोग ने अखिलेश खेमे के दावे को आधार बनाते हुए पार्टी और उसके चुनाव चिह्न दोनों को अखिलेश यादव को सौंप दिया। उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा चुनाव सीटों के लिए सात चरणों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसकी शुरुआत 11 फरवरी से होगी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का आखिरी चरण 8 मार्च को होगा।