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दिल्ली की सियासत का लंबा अनुभव रखने वाले रामवीर सिंह बिधूड़ी के बारे में जानें उनका पूरा सफर

2013 विधानसभा चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल की सरकार बनी थी. लेकिन 49 दिनों के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद रामवीर सिंह बिधूड़ी और बीजेपी में काफी मनमुटाव हो गया था.

Updated on: 23 Jan 2020, 11:02 PM

नई दिल्ली:

बीजेपी नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी की गिनती सियासत के धुरंधरों में होती है. वे बदरपुर विधानसभा से पूर्व विधायक रहे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए बीजेपी ने इस बार फिर मैदान में उतारा है. उनके सामने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार राम सिंह नेताजी हैं. राम सिंह नेताजी पिछले दिनों आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. केजरीवाल सरकार ने राम सिंह को बदरपुर से मैदान में उतारा है.

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2013 विधानसभा चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल की सरकार बनी थी. लेकिन 49 दिनों के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद रामवीर सिंह बिधूड़ी और बीजेपी में काफी मनमुटाव हो गया था. दिल्ली की सियासत का लंबा अनुभव रखने वाले बिधूड़ी भाजपा नेतृत्व से बेहद खफा हो गए थे. पिछली बार जब 49 दिनों में अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली सरकार ने इस्तीफा दे दिया था तो बिधूड़ी ने एक बड़ी पहल करते हुए कांग्रेस के आठ में से छह विधायकों को भाजपा को समर्थन देने के लिए तैयार कर लिया था. इस बारे में भाजपा के दो शीर्ष नेताओं से बातचीत भी पक्की हो गई थी और बिधूड़ी ने इन सभी छह विधायकों की परेड भी भाजपा के बड़े नेताओं के सामने करा दी थी, लेकिन शुरुआती दिनों में सरकार बनाने का वादा करने के बाद शीर्ष नेतृत्व ने अपने कदम पीछे खींच लिए थे.

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बिधूड़ी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए थे. सभी कांग्रेसी विधायकों ने मुख्यमंत्री के लिए उनके नाम का समर्थन किया था. जब भाजपा नेताओं ने दबाव बनाया तो बिधूड़ी प्रो. जगदीश मुखी को मुख्यमंत्री बनवाने पर भी तैयार हो गए थे, लेकिन आखिरकार भाजपा ने चुनाव में जाने का फैसला कर लिया. लेकिन चुनाव में कांग्रेस तो जीरो हो गई और भाजपा को भी महज तीन सीटें मिलीं. पार्टी के तमाम सूरमा चुनाव हार गए थे.