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PM मोदी ने लोकपाल को लेकर केजरीवाल सरकार पर बोला हमला, अन्ना आंदोलन पर उठाए सवाल

पीएम मोदी ने केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि कहां है लोकपाल जिसके लिए दिल्ली के लोग आज भी इंतजार कर रहे हैं.

Updated on: 03 Feb 2020, 07:19 PM

नई दिल्‍ली:

पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के कड़कड़डूमा में चुनावी रैली के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है. पीएम मोदी ने केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि जिस लोकपाल के लिए इतना बड़ा अन्ना आंदोलन हुआ था जिसका नेतृत्व खुद अरविंद केजरीवाल कर रहे थे वो लोकपाल कहां है. देश के लोगों को अबतक लोकपाल क्यों नहीं मिला. उन्होंने केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि कहां है लोकपाल जिसके लिए दिल्ली के लोग आज भी इंतजार कर रहे हैं. इतना बड़ा आंदोलन और फिर नई राजनीतिक पार्टी के बाद आप सत्ता में भी आए 6 साल बीत भी गए लेकिन लोकपाल कहां है ये दिल्ली के लोगों को आज भी नहीं मालूम.

पीएम मोदी यहीं पर चुप नहीं हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहली बार देश के 50 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी है. पहली बार, 10 करोड़ गरीब परिवारों तक टॉयलेट की सुविधा पहुंची है. पहली बार, 8 करोड़ गरीब माताओं एवं बहनों की रसोई में गैस का मुफ्त कनेक्शन पहुंचा. दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जा रहे घर क्यों नहीं बने क्यों कि केंद्र सरकार की योजनाओं को दिल्ली में लागू नहीं होने दिया जा रहा है.

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पीएम मोदी ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शाहीन बाग का प्रदर्शन सिर्फ संयोग नहीं है, इसके पीछे गहरी साजिश है. शाहीन बाग के नाम पर दिल्ली में नई राजनीति का प्रयोग किया जा रहा है. इस किसी भी हाल में सफल नहीं होने देना है. प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीति का ऐसा प्रयोग किया जा रहा है जो नफरत की राजनीति को बढ़ावा दे रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि दोनों दल राजनीति का खेल खेल रहे हैं. इनकी सारी बातें उजागर हो चुकी हैं. संविधान और तिरंगे को सामने रखकर ध्यान बांटा जा रहा है और असली मुद्दे से ध्यान हटाया जा रहा है.

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये लोग (शाहीन बाद के प्रदर्शनकारी) तिरंगा और संविधान को हाथ में लेकर सामने आ जाते हैं. न्यायालय लोगों को इंसाफ देते हैं. सर्वोच्च अदालत की भावना यही रही है कि विरोध प्रदर्शन से आम लोगों को परेशानी न हो सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान न हो. पुराने कई फैसलों में कोर्ट इस बात को कह चुका है लेकिन ये लोग कोर्ट की ही बात नहीं मानते हैं और बात करते हैं संविधान की. जिस संविधान ने न्यायपालिका को बनाया उसी न्यायपालिका की बात को यह लोग मानने को तैयार नहीं है. देश के टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाए जाते हैं और विरोधी ऐसे लोगों को बचा रहे हैं.