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Delhi Assembly Results 2020: कांग्रेस के 66 प्रत्याशियों में से 63 की जमानत जब्त

कांग्रेस की ओर से इस बार उतारे गए 66 प्रत्याशियों में से 63 की जमानत (Deposits) तक जब्त (Forfeited) हो गई.

Updated on: 12 Feb 2020, 01:25 PM

highlights

2015 के प्रदर्शन को दोहराते हुए कांग्रेस का दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में शर्मनाक तरीके से फिर सूपड़ा साफ.
गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली, बादली से देवेंद्र यादव और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्ता ही जमानत बचा सके.
आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई निवर्तमान विधायक अल्का लांबा भी अपनी जमानत नहीं बचा सकीं.

नई दिल्ली:

2015 के प्रदर्शन को दोहराते हुए कांग्रेस (Congress) का दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Results 2020) में बेहद शर्मनाक तरीके से फिर सूपड़ा साफ हो गया. एक तरफ जहां उसका वोट शेयर बीते विधानसभा चुनाव के 9.7 फीसदी से 4.27 प्रतिशत आ गया, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से इस बार उतारे गए 66 प्रत्याशियों में से 63 की जमानत (Deposits) तक जब्त (Forfeited) हो गई. कांग्रेस के सिर्फ तीन प्रत्याशी ही अपनी-अपनी जमानत बचाने में कामयाब हो सके. हालांकि हार उनके खाते में भी आई. यह अलग बात है कि इस शर्मनाक प्रदर्शन के बावजूद कांग्रेस के नेताओं में हार का ठीकरा फोड़ने का सिलसिला शुरू हो चुका है.

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सिर्फ तीन कांग्रेस प्रत्याशियों की बची जमानत
जिन तीन कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत जब्त नहीं हुई है वह भी कोई खास वोट शेयर हासिल नहीं कर सके हैं. गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली, बादली से देवेंद्र यादव और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्ता ही जमानत बचा सके. अरविंदर सिंह लवली को 19.14 फीसदी वोट मिले, तो देवेंद्र यादव को 19.66 फीसदी वोट मिले. अभिषेक दत्ता को 21.42 फीसदी वोट मिले. इस लिहाज से देखें तो अभिषेक दत्ता का प्रदर्शन ही सबसे बेहतरीन रहा. चुनाव से ऐन पहले आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई निवर्तमान विधायक अल्का लांबा भी अपनी जमानत नहीं बचा सकीं. उन्हें महज 5.03 फीसदी वोट ही मिले.

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कांग्रेस वाली दिल्ली का नारा बेअसर
यह तब है जब कांग्रेस दिल्ली के चुनावी समर में 'कांग्रेस वाली दिल्ली' के नारे के साथ उतरी थी. यानी उसने अरविंद केजरीवाल की 'काम की राजनीति' के जवाब में शीला दीक्षित के तीन कार्यकाल के दौरान कराए गए विकास कार्यों को भुनाने की चुनावी रणनीति बनाई थी. यह अलग बात है कि वह आम आदमी पार्टी सरकार के मुफ्त पानी-बिजली के काम के आगे शीला दीक्षित के दिल्ली का चेहरा बदल देने वाले काम भी नहीं गिनवा सकी. कांग्रेस इस मोर्चे पर मतदाताओं को जोड़ने में असफल रही.

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CAA और रोजगार पर राहुल गांधी भी रहे हवा बनाने में नाकाम
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बनने के बाद इसकी मुखालफत करने वाली कांग्रेस पहली पार्टी थी. यही नहीं, कांग्रेस ने यहां तक वादा किया था कि अगर वह दिल्ली की सत्ता में आती है, तो दिल्ली विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आएगी. यही वजह है कि शाहीन बाग में सीएए विरोधी धरना-प्रदर्शन को उसने जमकर समर्थन दिया. राहुल गांधी की चार रैलियां भी कांग्रेस के पक्ष में हवा नहीं तैयार कर सकी. यह तब था जब राहुल गांधी ने दिल्ली के युवा मतदाताओं को आकर्षित करने केलिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की बात कही थी.