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Delhi: कांग्रेस के हारून यूसुफ को 2015 में पहली बार मिली थी हार, क्या फिर से कर पाएंगे वापसी

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से एक बल्लीमारान विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने फिर से अपने वरिष्ठ नेता हारून यूसुफ को मैदान में उतारा है.

Updated on: 21 Jan 2020, 02:53 PM

नई दिल्ली:

Delhi Assembly Elections 2020: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से एक बल्लीमारान विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी ने फिर से अपने वरिष्ठ नेता हारून यूसुफ को मैदान में उतारा है. इस निर्वाचन क्षेत्र से हारून यूसुफ लगातार पांच बार विधायक रहे हैं. बल्लीमारान विधानसभा क्षेत्र साल 1993 में अस्तित्व में आया और तब से 2015 तक यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा. लेकिन 2015 में आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार से हारून यूसुफ को हार का सामना करना पड़ा था.

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हारून यूसुफ कॉलेज के समय से ही राजनीति में सक्रिय रहे.छात्र जीवन में वो कांग्रेस के छात्र संघठन एनएसयूआई में जुड़े. साल 1993 में दिल्ली की पहली विधानसभा में उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला. तब बल्लीमारान सीट पर उन्होंने जीत हासिल की. लगातार 5 साल तक अपना दबदबा रखने की वजह से 1998 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी. मुस्लिम बहुल क्षेत्र बल्लीमारान से हारून यूसुफ 1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 में लगातार पांच बार विधायक चुने गए.

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हारून यूसुफ का जन्म 6 मार्च 1958 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने दिल्ली के जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज विश्वविद्यालय से अपने परास्नातक (M.Com) की पढ़ाई की. 1988 में उन्हें दिल्ली प्रदेश यूथ कांग्रेस के सचिव के रूप में चुना गया और नार्कोटिक सेल, ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस विंग के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया और 1989 में उन्हें ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस विंग के संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया.

2000-01 में हारून यूसुफ को दिल्ली विधानसभा में लोक लेखा समिति का चेयरमैन बनाया गया था. इसके बाद 1999 से दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहे हैं. 2001 में उनको दिल्ली सरकार में मंत्री पद दिया गया था. फिर 2003 के चुनाव में जीत के बाद उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया था. हारून यूसुफ ने शीला दीक्षित की अध्यक्षता में दिल्ली में बनी कांग्रेस सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग और उद्योग मंत्रालय का कार्यभार संभाला. फिलहाल वह दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.