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Delhi Assembly Election 2020: पूर्वांचली मतदाताओं पर क्यों हैं सबकी नजर?

दरअसल दिल्ली में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग बड़ी तादात में रहते हैं. कहा जाता है कि दिल्ली की तकरबीन 20-22 सीटों पर पूर्वाचल और बिहार के मतदाताओं का अच्छा खासा प्रभाव है.

Updated on: 20 Jan 2020, 07:39 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों की रणनीति बिसात पूर्वांचली मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूमती हुई नजर आ रही हैं. पूर्वांचलियों को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी रिझाने में लगे हैं, वहीं कांग्रेस ने पूर्व सांसद कीर्ति आज़ाद की पत्नी पूनम आजाद को मैदान में उतारा है. आम आदमी पार्टी भी किसी से कम नहीं है. उसने एक कदम आगे बढ़ाते हुए पूर्वांचली और कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा के बेटे विनय मिश्रा को अपने पाले में लाकर द्वारका से चुनावी मैदान में उतर दिया है.

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दरअसल दिल्ली में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग बड़ी तादात में रहते हैं. कहा जाता है कि दिल्ली की तकरबीन 20-22 सीटों पर पूर्वाचल और बिहार के मतदाताओं का अच्छा खासा प्रभाव है. यही कारण है कि हर सियासी दल पूर्वाचल के मतदाताओं पर पैनी नजर रख रहा है. जिसकी वजह से कांग्रेस ने आरजेडी के लिए चार सीटें छोड़ी हैं, तो बीजेपी ने जदयू से दो सीटों पर समझौता किया है. दिल्ली में बीजेपी और जेडीयू के साथ गठबंधन पहली बार हुआ है.

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इस मसले पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने Exclusive बातचीत करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार का पिछले 5 सालों का रिकॉर्ड सबके सामने है. हमारी सरकार ने हर तबके के लिए काम किया है. किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ है. 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के यूपी और बिहार से संबंध रखने वाले 12 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी.

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चुनाव पर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने खास बातचीत में कहा कि दिल्ली में पूर्वांचल का मतदाता मोदी जी की नीतियों के साथ है. वहीं दिल्ली कांग्रेस के पूर्व मुखिया अजय मकान के मुताबिक दिल्ली में रहने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को सबसे ज़्यादा अधिकार कांग्रेस की सरकारों ने दिया है और इसका सबूत सबके सामने है. दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए 8 फरवरी को मतदान है. चुनाव के नतीजों की घोषणा 11 फरवरी को होगी.