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दिल्ली चुनाव: मोती नगर सीट पर वापसी करेगी BJP या फिर जीतेगी AAP?

इस बार मोती नगर से आप ने शिव चरण गोयल को अपना उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने सुभाष सचदेवा को टिकट दिया है और कांग्रेस ने रमेश कुमार पोपली को मैदान में उतारा है.

Updated on: 08 Feb 2020, 03:35 PM

नई दिल्ली:

Delhi Assembly Election 2020: सेंट्रल दिल्ली जिले अंर्तगत आनी वाली मोती नगर विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. मोती नगर को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मदन लाल खुराना के संसदीय क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. दिल्ली में बीजेपी के लिए यह एक तरह से सुरक्षित सीट मानी जाती है. बीजेपी ने यहां 1993 से लेकर 2013 तक 6 बार हुए चुनाव में जीत दर्ज की. हालांकि 2015 में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के इस किले में सेंध लगा दी थी.

इस बार मोती नगर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी ने शिव चरण गोयल को अपना उम्मीदवार बनाया है. भारतीय जनता पार्टी ने सुभाष सचदेवा को टिकट दिया है और कांग्रेस ने यहां से रमेश कुमार पोपली को मैदान में उतारा है. 

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पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के शिव चरण गोयल ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार सुभाष सचदेवा को 15,221 वोटों से मात दी थी. शिव चरण गोयल को 60,223 वोट और सुभाष सचदेवा को 45,002 वोट मिले थे. यहां पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार राज कुमार मागो तीसरे स्थान पर रहे थे. उनके पक्ष में महज 6,111 वोट आए थे. इस सीट पर कुल 6 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. पिछले चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,62,919 वोटर्स थे. इनमें 92,424 पुरुष और 70,486 महिला वोटर्स थे. इनके अलावा 9 वोटर्स थर्ड जेंडर भी थे. कुल 1,13,360 मतदाताओं ने वोट डाले थे और कुल 69.6 फीसदी मतदान हुआ था.

1993 में दिल्ली को विधानसभा का दर्जा मिलने के बाद से अब तक की बात की जाए तो इस सीट पर 6 बार हुए चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की है, जबकि आम आदमी पार्टी एक बार चुनाव जीत पाई है. 1993 में इस सीट से जीत हासिल करने वाले मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने थे. कांग्रेस अभी तक यहां खाता नहीं खोल पाई है. 1993 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी जीता. तब से लेकर 2013 तक 6 बार हुए चुनाव में इस सीट पर बीजेपी का ही कब्जा रहा.

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1998 में बीजेपी के अविनाश साहनी विजयी रहे. 2003 में मदन लाल खुराना ने यहां से फिर चुनाव लड़ा और कांग्रेस की अलका लांबा को हराया था. हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. 2004 में उपचुनाव में बीजेपी के सुभाष सचदेवा ने जीत का परचम लहराया. 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में भी सुभाष सचदेवा ने जीत हासिल की. हालांकि 2015 में वो आम आदमी पार्टी के शिव चरण गोयल से हार गए.