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दिल्‍ली में बीजेपी को नेता विपक्ष का दर्जा इस बार हमदर्दी से नहीं, हक से मिलेगा

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) ने भले ही शानदार जीत हासिल कर ली है, लेकिन बीजेपी ने इस बार वह कर दिखाया है जो वह 2015 में नहीं कर पाई थी.

Updated on: 12 Feb 2020, 12:22 PM

नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) ने भले ही शानदार जीत हासिल कर ली है, लेकिन बीजेपी ने इस बार वह कर दिखाया है जो वह 2015 में नहीं कर पाई थी. दरअसल, इस बार बीजेपी ने उतनी सीटें जीत ली है, जिससे उसे नेता विपक्ष का दर्जा मिल जाएगा. 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को केवल तीन सीटें हासिल हुई थीं और उसे विपक्षी दल का दर्जा भी हासिल नहीं हो पाया था. हालांकि काफी दिन बाद अरविंद केजरीवाल की सरकार ने मेहरबानी दिखाते हुए नेता विपक्ष का दर्जा दे दिया था. इस बार बीजेपी को भले ही बहुत अधिक सीटें हासिल नहीं हो पाईं, लेकिन इतनी सीटें जरूर मिल गईं कि उसे विपक्षी दल का दर्जा मिल जाए. अब विधानसभा में पार्टी के नेता को नेता विपक्ष का आधिकारिक दर्जा हासिल हो जाएगा.

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नेता विपक्ष का दर्जा पाने के लिए किसी भी दल को सदन की संख्‍या का 10% सीट हासिल करना जरूरी होता है. पिछली बार बीजेपी को महज 3 सीटें हासिल हुई थीं और वह नेता विपक्ष का दर्जा पाने की अर्हता खो चुकी थी, लेकिन मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने दरियादिली दिखाते हुए बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्‍ता को नेता विपक्ष का दर्जा दिया था. इस बार बीजेपी को अरविंद केजरीवाल की सरकार की हमदर्दी की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्‍योंकि बीजेपी 8 सीटें हासिल कर चुकी है. दिल्‍ली विधानसभा में 70 सीटें हैं और उसका 10% 7 होता है. इस लिहाज से बीजेपी को एक सीट अधिक हासिल हुई है.

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पिछली बार विधानसभा में नेता विपक्ष का दर्जा मिलने के बाद विजेंद्र गुप्ता ने कहा था, 'यह लोकतांत्रिक मूल्यों व परंपराओं की विजय है. भविष्य में भी सरकार लोकतांत्रिक परंपराओं का संज्ञान लेते हुए पूरी निष्ठा से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेगी, ऐसी हमारी अपेक्षा है.' नेता विपक्ष का दर्जा पाने के लिए किसी भी दल को विधायक दल के नेता का चुनाव करना होता है. नेता चुने जाने की सूचना विधानसभा सचिवालय को दी जाती है. उसके बाद विधानसभा सचिवालय की ओर से आधिकारिक रूप से नेता विपक्ष का दर्जा दिया जाता है.