क्या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए दूसरे विद्याचरण शुक्ल साबित होंगे अजीत जोगी
राजनीतिक विश्लेष्ाकों की मानें तो अगर यह गठबंधन 10 फीसद भी वोट हासिल करता है तो अजीत जोगी कांग्रेस के लिए ...
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ में 12 और 20 नवंबर को हुए चुनाव में मुख्यमंत्री रमन सिंह, कांग्रेस के टीएस बाबा, जनता कांग्रेस के अजीत जोगी समेत कई प्रत्याशियों की किस्मत EVM में लॉक हो चुकी है. वैसे तो हर बार मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही रहा है लेकिन इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जनता कांग्रेस-बीएसपी और CPI का गठबंधन दोनों दलों को सत्ता से दूर कर सकता है. राजनीतिक विश्लेष्ाकों की मानें तो अगर यह गठबंधन 10 फीसद भी वोट हासिल करता है तो अजीत जोगी कांग्रेस के लिए दूसरे विद्याचरण शुक्ल साबित होंगे. 25 मई 2013 को जीरम में नक्सलियों के हमले में विद्याचरण शुक्ल को गोली लगी थी. उनका काफी दिन तक दिल्ली में इलाज चला लेकिन वह बच नहीं पाए.
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बता दें 2003 के चुनाव में विद्याचरण शुक्ल कांग्रेस से एनसीपी में गए थे और चुनाव में 7% वोट लेकर कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण बने. उन्होंने 27 सीटों पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया. अगर मौजूदा स्थिति की बात करें तो कांग्रेस से अलग होने के बाद अजीत जोगी ने 2016 में अपनी अलग पार्टी बना ली. लिहाजा, कांग्रेस के सामने इस बार 2003 की तरह वोट कटने का खतरा है.
छत्तीसगढ़ के नतीजे
- 2003 : भाजपा ने 39.26% वोट के सहारे 50 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की. कांग्रेस को 37 सीटें मिलीं.
- 2008 : इस बार भी सीटों की स्थिति वैसी ही रही. भाजपा को 50 और कांग्रेस को 38 सीटें मिलीं.
- 2013 : मोदी लहर में BJPका वोट प्रतिशत 2 फीसदी बढ़कर 46.05% हुआ. उसे एक सीट का नुकसान हुआ और 49 सीटें मिलीं. कांग्रेस ने लगातार तीसरे चुनाव में अपनी एक सीट बढ़ाई. उसके 39 विधायक जीते. वोटों का अंतर 2.6% था तो BJP 13 सीटें ज्यादा लाई थी. जब अंतर 0.7% ही रह गया तब भी वह 10 सीटें आगे रही.
पिछले तीन चुनावों में बसपा ने दिखाया दम
- 2013 में चार सीटों पर, एक सीट जीती
- 2008 में चार सीटों पर, दो सीटें जीतीं
- 2003 में चार सीटों पर, दो सीटें जीतीं
इन सीटों पर माया-जोगी गठबंधन भारी
- मरवाही: मरवाही जोगी परिवार की पारंपरिक और सुरक्षित सीट है. अजीत जोगी सीट से इस बार चुनाव मैदान में थे. 2013 में इस सीट से उनके बेटे अमित जोगी चुने गए थे.
- तखतपुर: जोगी ने एक साल पहले ही इस सीट के लिए अपने प्रत्याशी संतोष कौशिक के नाम का ऐलान कर दिया था. 2013 में यह सीट भाजपा ने कांग्रेस से सिर्फ 608 वोट से जीती थी. बसपा से खड़े हुए संतोष तीसरे नंबर पर रहे थे. यहां एससी 30%, ओबीसी 48% और अन्य 22% हैं.
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- कोंटा: 1952 से लेकर अब कोंटा विधानसभा सीट पर 14 बार चुनाव हुए हैं. पिछले तीन चुनाव से अजीत जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीतती आ रही हैं. इस बार वह जनता कांग्रेस से चुनाव मैदान में थीं.
- जैजेपुर: इस सीट से बसपा के केशव चंद्रा विधायक हैं. पिछले तीन चुनावों में वोट शेयर 29 से 32% तक रहा है.
- पामगढ़: 2008 में यह सीट बसपा के पास थी. 2013 में बसपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे. पिछले तीन चुनावों में यहां बसपा का वोट शेयर 26 से 39% तक रहा है.
इन सीटों पर BSP ने झटके थे इतने वोट (%)
विधानसभा 2003
कसडोल | 15.22 | 11.72 | 14.9 |
पामगढ़ | 29.32 | 39.28 | 26.4 |
तखतपुर
|
20.43
|
16.60
|
5.62
|
अकलतरा
|
11.20
|
33.11
|
18.66
|
बलोदा बाजार
|
10.58
|
11.91
|
17.54
|
सारंगढ़
|
12.21
|
18.12
|
33.12
|
सक्ती
|
10.39
|
14.34
|
8.06
|
जांजगीर-चांपा
|
20.59
|
16.63
|
12.28
|
चंद्रपुर
|
29.69
|
20.35
|
18.21
|
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कर्नाटक की तरह खेल बिगाड़ सकती है BSP
बसपा छत्तीसगढ़ में कर्नाटक की तर्ज पर चुनाव लड़ना चाहती है. कर्नाटक में मायावती नेजेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. छत्तीसगढ़ में छजकां के साथ यही रणनीति अपनाने की योजना है. बसपा ने कर्नाटक में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को नुकसान पहुंचाया था.
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कर्नाटक में जिन 18 सीटों पर बसपा ने चुनाव लड़ा, उसमें वो एक पर पहले, नौ पर तीसरे, सात पर चौथे और एक सीट पर छठवें स्थान पर रही थी. जिस सीट पर बसपा को जीत मिली, वहां कांग्रेस दूसरे और बीजेपी तीसरे नंबर पर रही. तीसरे स्थान की 9 सीटों में से उसने 3 पर कांग्रेस और 6 पर बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेरा. इसी तरह चौथे नंबर की 7 सीटों में से 6 पर कांग्रेस और एक में बीजेपी के समीकरण बिगाड़े. छठे स्थान वाली एक मात्र सीट पर उसने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया. पार्टी का वोट शेयर 3.72 प्रतिशत रहा.
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